केबल ब्रिज हादसा: 135 लोगों की मौत का मुजरिम कौन? श्मशान में शवों का सैलाब
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मोरबी: गुजरात के मोरबी के मच्छु नदी पर बीते दिनों हुए हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। नदी में सर्च ऑपरेशन मंगलवार को भी जारी है। इस दौरान, कई लोगों की दर्दनाक कहानियां सामने आ चुकी हैं। किसी का दोस्त चला गया तो किसी के घर के सदस्य की इस हादसे में मौत हो गई। इसी तरह पराग नागर और नईम शेख ने अपनी-अपनी आपबीती सुनाई है, जोकि हादसे के समय पुल पर ही मौजूद थे। पराग ने बताया कि हादसे में वह खुद तो किसी तरह बच गया, लेकिन अपने दो करीबी दोस्तों को उसने खो दिया। उनकी लाश मच्छु नदी में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में मिली।
केबल से बना पुल जैसे ही टूटा, नागर ने खुद को बचाने के लिए स्टील की रॉड पकड़ ली और किसी तरह उसकी जान बच सकी। वह आज सुबह से ही हादसे वाली जगह पर था और पता कर रहा था कि क्या कोई उसका दोस्त बचा या नहीं। नागर ने कहा, ''मैं यहां घूमने के लिए आया था और यह सब हो गया।'' वहीं, हादसे में बचने वाले एक और शख्स नईम शेख ने बताया कि उन्हें मिलाकर कुल छह लोग घूमने गए थे, लेकिन पांच ही वापस आ सके। नईम इस समय मोरबी के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं और अपना इलाज करवा रहे हैं।
हादसे में नईम शेख की जान इसलिए बच सकी, क्योंकि उन्हें तैरना आता था। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''मैं और मेरे दोस्तों ने कुछ लोगों की जान भी बचाई। यह हादसा बहुत दर्दनाक था। मैं लोगों की जान जब बचा रहा था, तभी मुझे चोट भी लग गई।'' सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरफ, आर्मी, नेवी, वायुसेना, कोस्ट गार्ड, गुजरात फायर डिपार्टमेंट और स्थानीय प्रशासन की टीम घटनास्थल पर मौजूद है।
मच्छु नदी पर बना केबल पुल रविवार शाम को टूट गया था। हादसे के समय पुल पर 400-500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें से दो लोग पुल की देखरेख का जिम्मा संभालने वाली ओरेवा कंपनी के मैनेजर्स भी हैं। यह पुल लगभग 140 साल पुराना था, जिसे उस समय की सबसे उन्नत तकनीक से बनाया गया था। रेनोवेशन का काम होने के लिए कई महीनों तक पुल बंद भी था, जिसे हादसे से पांच दिन पहले लोगों के लिए खोल दिया गया था। मामले की जांच करने के लिए गुजरात सरकार ने एसआईटी का गठन किया है।