देश भर में लागू हुआ CAA: क्या राज्य सरकारें इसे खारिज कर सकती हैं? जानें बड़ी बात
नई दिल्ली: CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून को देशभर में लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। एक ओर जहां केरल सरकार ने साफ कर दिया है कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी लंबे समय से इसका विरोध करती रही हैं। सवाल है कि क्या केंद्र के कानून के खिलाफ राज्य क्या कदम उठा सकते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संविधान मामलों के विशेषज्ञ संजय पारीख ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) केंद्रीय कानून है। ऐसे में राज्य कानूनी तौर पर इसे लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं। लेकिन, यदि राज्य को लगता है कि यह कानून संविधान की मूल भावना और संघवाद के खिलाफ है, तो उसे (राज्य) इसका विरोध करने का पूरा अधिकार है।
पारीख ने बताया कि राज्य कानून का विरोध करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं। उन्होंने बताया कि केरल सरकार विधानसभा में इस कानून के खिलाफ पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है। इसके अलावा, केरल सरकार ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनीतिक लाभ हासिल करने के प्रयास में लोकसभा चुनाव से पहले सीएए के नियमों को अधिसूचित करके 'अपने डूबते जहाज को बचाने' की कोशिश कर रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि भाजपा सरकार के 'विभाजनकारी एजेंडे' ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है, इसे 'मानवता के प्रतीक' से धर्म और नस्ल के आधार पर 'भेदभाव के उपकरण' में बदल दिया है।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि CAA अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करना राजनीति से प्रेरित है, जो आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम चुनाव में अधिक सीट जीतने और सत्ता में आने को लेकर भाजपा के आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
परमेश्वर ने कहा, 'आज नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियम गजट में प्रकाशित हो गए हैं। मुझे लगता है कि इसका पूरा विवरण देखे बिना इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। हमने 2019 में देखा कि कई लोगों ने इसका विरोध किया था। इसके बावजूद अगर केंद्र सरकार इस फैसले पर पहुंची है, तो इसकी जांच की जानी चाहिए और इस पर गौर किया जाना चाहिए।'
केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने CAA को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसे दक्षिणी राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। विजयन ने यहां एक बयान में कहा, 'सरकार ने बार-बार कहा है कि सीएए केरल में लागू नहीं किया जाएगा, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। यह रुख बरकरार है। सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी इस कानून के खिलाफ पूरा केरल एकजुट होगा।'
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर CAA लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी। सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं।
राज्य सचिवालय में जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने कहा, 'ऐसी खबरें हैं कि सीएए को अधिसूचित किया जाएगा। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे।' उन्होंने कहा, 'उन्हें (केंद्र) नियम सामने आने दीजिए, फिर हम नियमों को पढ़ने के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे।'