कारोबारी को फर्जी पुलिस अधिकारी ने बनाया निशाना, 12 लाख का लगाया चूना

एसपी ने इस मामले का खुलासा किया।

Update: 2024-02-25 05:13 GMT

सांकेतिक तस्वीर

हाथरस: यूपी के हाथरस से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां हींग कारोबारी से फर्जी पुलिस अधिकारी बताकर शातिर ने 12 लाख रुपये ठग लिए। व्हाट्सऐप कॉल के जरिए शातिर ने कारोबारी को उनके बेटे के अपराध में फंस जाने का झांसा दिया था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद साइबर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर उससे ठगी गई रकम सहित आठ मोबाइल फोन और आईडी व एटीएम आदि बरामद कर लिए। इस मामले का शनिवार को एसपी ने इस मामले का खुलासा किया।
वारदात का खुलासा करते हुए एसपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि संजय कुमार अग्रवाल पुत्र गोपाल दास अग्रवाल के पास छह जनवरी को एक नंबर से व्हाट्सऐप कॉल आई। जिस पर एक व्यक्ति द्वारा उनसे कहा गया कि आपके बेटे ने अपराध किया है। उसे बचाना चाहते हो तो रुपये देने होंगे। यह सुनकर व्यापारी ने घबराकर विभिन्न खातों में करीब 12 लाख रुपये डलवा दिए। बाद में उनको पता चला की उनके बेटे द्वारा कोई अपराध नहीं किया गया है, वह साइबर ठगी के शिकार हो गए हैं। इसके बाद व्यापारी ने थाना कोतवाली नगर में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। मामले का पर्दाफाश करने के लिए प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर एवं साइबर सेल टीम को निर्देश दिए। साथ में स्वॉट व सर्विलांस टीम को भी लगाया गया। शुक्रवार की रात को पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में साइबर ठगी करने वाले एक शातिर को हतीसा पुल के पास से दबोच लिया।
पूछताछ में पकड़े गए शातिर ने अपना नाम सलमान अली गांव संदली थाना बरौली जिला गोपालगंज बिहार बताया। शातिर ने पास से कब्जे से आठ मोबाइल फोन, पांच आधार कार्ड, तीन एटीएम कार्ड व 11 लाख 78 हजार 370 रुपये बरामद किये हैं। शातिर ठग को गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह मय टीम थाना कोतवाली नगर व प्रभारी निरीक्षक भारत भूषण भाटी मय साइबर/सर्विलांस टीम शामिल रही। शातिर ठग को पकड़ने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार एसपी निपुण अग्रवाल द्वारा दिया गया।
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्त ने पूछताछ में बताया कि उसने 10वीं तक पढ़ाई की है। उसको कोई नौकरी नहीं मिली थी। वह मध्य प्रदेश के रहने वाले विवेक यादव और सागर घोषले के संपर्क में आया। जिन्होंने उसको कुछ खाते खुलवाकर दिए थे। उसने व साथियों ने नकली पुलिस वाला बनकर हाथरस के एक व्यक्ति के बारे में जानकारी निकाली। फिर बेटे को थाने में अपराधी बताकर और डराकर करीब 12 लाख रुपये अपने विभिन्न खातों में हस्तान्तरित करा लिया। उसने रकम को अपने अन्य साथियों के ही बैंक खातों में नेट बैंकिंग व यूपीआई के माध्यम से भेजा दिया।
पुलिस के मुताबिक साइबर ठगी करने वाला गिरोह कोटा व अन्य स्थानों पर कोचिंग करने वाले छात्रों व उनके अभिभावकों के संबंध में जानकारी लेकर उनका डाटा प्राप्त कर लेता था। स्मार्ट फोन पर वाट्सएप पर पुलिस की आईडी लगाकर लोगों को डरा धमकाकर उनसे विभिन्न खातों में पैसे डलवा लेते थे। शातिर ठगों द्वारा खाते खरीदे जाते थे तथा खाताधारकों की पासबुक, एटीएम कार्ड व मोबाइल नंबर अपने पास रख लेते थे, जिससे पुलिस इनके पास तक न पहुंच सके।
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