मेरठ। पुलिस मुख्यालय बनाने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है, जिसको लेकर मेरठ-हापुड़-बुलन्दशहर बस अड्डे को खाली कराते हुए एक माह पूर्व जिला पंचायत भूमि को अपने कब्जे में ले चुकी है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को पुलिस ने बस स्टैंड के संचालन करा रहे मुंशी को अरेस्ट करते हुए दो बसों को सीज कर दिया था। प्रशासन के कसते शिकंजे के बीच बस आॅपरेटर यूनियन के पदाधिकारियों ने एक माह के दौरान दो बार पुलिस प्रशासन के स्तर से की गई कार्रवाई को गलत करार देते हुए कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। जिसमें सुनवाई के लिए 22 मई मेरठ और 25 मई हाईकोर्ट में तारीख लगी है। वहीं यूनियन के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल इसी संबंध में सोमवार को जजमेंट मंडलायुक्त से मिलेगा।
यूनियन के पदाधिकारियों ने शनिवार का पूरा दिन प्रशासन के कसते शिकंजे को लेकर रणनीति बनाने में व्यतीत किया। इस संबंध में यूनियन के अधिवक्ता संजय शर्मा के हवाले से बताया गया कि जिला पंचायत के साथ यूनियन का किराये संबंधी एग्रीमेंट अक्टूबर 2023 तक है। लेकिन जिला पंचायत ने इससे पहले ही जमीन पर कब्जा लेने का प्रयास किया है। इस मामले में जिला पंचायत की कार्रवाई से पहले ही यूनियन कोर्ट की शरण चली गई थी। जिसमें अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है। इस बीच पुलिस ने बसों के संचालन को अवैध बताते हुए शुक्रवार को फिर कार्रवाई की है। जिसको लेकर एक वाद हाईकोर्ट में दायर किया गया है, जिसमें 25 मई को सुनवाई होनी है। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि वे 65 बस आपरेटरों और उनसे जुड़े सैकड़ों चालक-परिचालक परिवारों की आजीविका के लिए सुप्रीम कोर्ट तक अपनी जंग को जारी रखेंगे। उनका कहना है कि बसों का संचालन पूरी तरह नियमों के अनुसार किया जाता है।