बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में रुकावट, अब आई ये खबर

Update: 2022-08-23 05:17 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, रेलवे बोर्ड ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. रेलवे बोर्ड का मानना है कि फिजिबिलिटी रिपोर्ट में दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन के लिए जो रूट सुझाया गया था, उसमें कई ऐसे कर्व हैं, जिनपर 350 की स्पीड से ट्रेन चलाना संभव नहीं है.

सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के रिव्यू को लेकर रेलवे बोर्ड के सचिव आरएन सिंह ने मीटिंग रखी थी. इसमें नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा पेश फिजिबिलिटी रिपोर्ट में दिए गए सुझाव पर सहमति नहीं बन पाई. हालांकि, रेलवे ने अपने बयान में कहा है कि दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर फैसला होना बाकी है. रेलवे बोर्ड ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. यह परियोजना अभी विचाराधीन है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक, फिजिबिलिटी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर को नेशनल हाईवे- 2 के साथ साथ बनाने का सुझाव दिया गया था. इसमें कहा गया था कि इससे सस्ती कीमतों पर भूमि का अधिग्रहण किया जा सकेगा और निर्माण की लागत भी कम करने में मदद मिलेगी.
हालांकि, मीटिंग में मौजूद एक सूत्र ने समाचार एजेंसी से बीतचीत में कहा, तकनीकी समस्या के चलते मीटिंग में इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया गया. दरअसल, दिल्ली-वाराणसी NH-2 हाईवे पर कई जगह कर्व मौजूद हैं, जिसके चलते इस रूट पर ट्रेन को 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाना काफी खतरनाक साबित हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, 350 किमी प्रति घंटे की स्पीड से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीड कॉरिडोर का ट्रैक सीधा होना चाहिए.
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) जहां परियोजना पर काम शुरू करने की योजना बना रही है. वहीं मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी और बाधाओं को देखते हुए रेलवे बोर्ड काफी सतर्कता से नजर बनाए हुए है.
देरी के चलते अब मुंबई-अहमजाबाद प्रोजेक्ट की लागत 1.50 लाख करोड़ तक पहुंचने की आशंका है. अधिकारियों के मुताबिक, हर एक किलोमीटर के लिए करीब 200 करोड़ रुपए खर्च होगा. वहीं, रेलवे बोर्ड ने अभी के लिए सलाह दी है कि फोकस सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन पर होना चाहिए, जो 160-200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं. अधिकारियों के मुताबिक, अगले तीन साल में ऐसी करीब 400 ट्रेनें मोजूद होंगी, जिन्हें अलग अलग रूट पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.


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