बसपा ने इमरान मसूद को पार्टी से बाहर निकाला, देखें आदेश...

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Update: 2023-08-29 11:38 GMT
लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को इमरान मसूद को पार्टी से बाहर कर दिया है। उन पर अनुशासनहीनता करने का आरोप है। इमरान मसूद ने कहा, "अगर सच बोलना अनुशासनहीनता है तो मंजूर है।" दरअसल, INDIA गठबंधन बनने के बाद इमरान मसूद लगातार कांग्रेस के संपर्क में हैं। कल ही उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ की थी। माना जा रहा है कि इमरान अब जल्द ही कांग्रेस में फिर से वापसी करेंगे।इमरान 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद बसपा में शामिल हुए थे। इसके बाद पार्टी ने उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कोआर्डिनेटर बनाया था।

इमरान मसूद ने सोमवार को एक न्यूज चैनल पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पूरे देश में राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं, जो बेखौफ होकर जनता के पक्ष में बोलते हैं। मैंने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है। दोनों ही बेहतरीन इंसान हैं। उनका इंटरव्यू वायरल होते ही सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि वह एक बार फिर कांग्रेस में जा सकते हैं? हालांकि इस पर सफाई देते हुए इमरान मसूद ने कहा था कि वह अभी बसपा में ही हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रसीद मसूद के भतीजे पूर्व विधायक इमरान मसूद का नाम वेस्ट यूपी के कद्दावर नेताओं में गिना जाता है। वह 2007 का विधानसभा, 2014 का लोकसभा और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, 2007 को छोड़कर हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वह 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुजफ्फराबाद (वर्तमान में बेहट) सीट से पहली और आखिरी बार विधायक चुने गए थे। उस वक्त इमरान मसूद ने सपा के मंत्री जगदीश राणा को हराया था। इमरान सहारनपुर में नगरपालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने कांग्रेस से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। जिसमें वह 4 लाख से अधिक वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। उसके बाद 2019 में इमरान मसूद ने फिर लोकसभा में कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव लड़ा। उसमें भी उन्हें सवा दो लाख वोट मिले। लेकिन, सियासी हवा का रुख भांपने में माहिर माने जाने वाले इमरान मसूद ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जनवरी 2022 को कांग्रेस को छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था।
यूपी की राजनीति में मुस्लिम नेताओं का जिक्र आता है तो आजम खान जैसे चर्चित चेहरों के साथ इमरान मसूद का नाम भी लिया जाता है। खासकर, पश्चिमी यूपी की लीडरशिप में। इमरान के वजूद को कोई दरकिनार नहीं कर पाता है। अच्छा चुनावी रिकॉर्ड न होने के बावजूद इमरान मसूद देश और प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। पहचान के पीछे विवादित बयान की भूमिका तो रही है। लेकिन सियासी विरासत भी है। पश्चिमी यूपी मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। यहां मुरादाबाद और संभल में मुस्लिम वोटर्स की संख्या 47.12% है। बिजनौर में 43.03%, सहारनपुर में 41.95%, मुजफ्फरनगर में 41.95%, शामली में 41.03% और अमरोहा में 40.78% मुसलमान वोटर्स हैं। इसके अलावा पांच ऐसे जिले हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स की आबादी 30 से 40% और 12 जिलों में 20 से 30% हैं। 15 ऐसे जिले हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं। इसके अलावा पश्चिमी यूपी में दलित वोटर्स की संख्या भी 20 से 30% है।' इन जिलों में इमरान मसूद का काफी प्रभाव है।
सपा में उचित सम्मान मिलता दिखाई नहीं दिया, तो इमरान का वहां से भी मोह भंग हो गया। उसके बाद उन्होंने बसपा की ओर रुख किया। उन्होंने महज 6 महीने बाद ही सितंबर, 2022 में बसपा ज्वाइन कर ली थी। बसपा सुप्रीमो ने उन्हें पार्टी से मुस्लिम समाज को जोड़ने के लिए वेस्ट यूपी का संयोजक नियुक्त किया था। साथ ही नगर निगम के चुनाव में भी बसपा से इमरान मसूद की भाभी खदीजा मसूद को चुनाव में उतारा था। बसपा ज्वाइन करने के लिए इमरान मसूद अपने समधी शाजान मसूद और दामाद शायान मसूद और अपने समर्थकों के साथ 18 अक्टूबर, 2022 को लखनऊ पहुंचे थे। 19 अक्टूबर को बसपा सुप्रीमो मायावती से उनकी भेंट हुई। बिना जूतों के मायावती के कक्ष में पहुंचकर इमरान मसूद ने आशीर्वाद लिया। 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंडल की संयुक्त रैली की थी। मायावती ने नाम लिए बिना ही कहा था, ''सहारनपुर के एक नेता हैं जो कांग्रेस छोड़कर सपा में गए हैं और सपा ने उन्हें उनकी औकात बता दी है। अखिलेश यादव मुसलमानों को अपनी जेब में समझते हैं, लेकिन मुसलमानों को टिकट देने में परहेज करते हैं।'' सियासी मजबूरी ऐसी थी कि जब मायावती इमरान का उपहास उड़ा रही थी। तब मंच पर उनके जुड़वां भाई नोमान मसूद भी बैठे थे।
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