रिश्वतखोर AIIMS के डिप्टी डायरेक्टर को जेल, फार्मासिस्ट से ली थी रिश्वत

राजधानी

Update: 2021-10-01 17:02 GMT

भोपाल. रिश्वतखोरी केस में फंसे AIIMS भोपाल के निलंबित डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह (Dhirendra Pratap Singh) को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. हाल ही में CBI ने सिंह को एक फार्मासिस्ट से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते ट्रैप किया था. CBI ने उन्हें आज कोर्ट में पेश किया था. अब तक की जांच में धीरेंद्र प्रताप सिंह की 2 करोड़ की काली कमाई का पता चला है. CBI ने पिछले हफ्ते 25 सितंबर को धीरेन्द्र सिंह को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. वो ये घूस एक फार्मासिस्ट का 40 लाख का बिल पास करने के एवज में वसूल रहा था. रिश्वत लेने के लिए उसने फार्मासिस्ट को अपने शाहपुरा स्थित घर बुलाया था. लेकिन फरियादी ने इसकी शिकायत CBI से कर दी. सीबीआई ने सिंह को वहीं मौके पर धरदबोचा और फिर कोर्ट में पेश कर 1 अक्टूबर तक के लिए रिमांड पर लिया था. रिमांड की अवधि आज खत्म हो रही थी.

भोपाल एम्स रिश्वतखोरी का गढ़ बन गया है. आरोप है कि यहां कोई भी काम बिना रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के नहीं होता. डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह के रिश्वतखोरी कांड के बाद अब CBI कोरोना काल में हुई खरीदी की भी जांच कर रही है. यहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की आशंका है. CBI ने शनिवार को शाहपुरा थाने के सामने एम्स के डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह गिरफ्तार किया था. वो मेडिकल संबंधित बिल पास करने के एवज में एक लाख की रिश्वत ले रहा था. सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि धीरेंद्र ने एम्स में हुई खरीद में जमकर भ्रष्टाचार किया है. आरोपी डायरेक्टर अप्रूव्ड बिलों को भी रिश्वत के लिए रोक लेता था. बिना रिश्वत के बिल पास नहीं करता था.

डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र आवाज रिकॉर्ड न हो इसलिए व्हाट्सएप कॉल (WhatsApp ) पर बात करता था. इसी के जरिए रिश्वत भी मांगता था. CBI की सर्चिंग में डिप्टी डायरेक्टर के शाहपुरा स्थित घर से 7 लाख नगद, 80 लाख की म्युचुअल फंड में निवेश समेत 3 मकान, 2 फ्लैट, कई प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज मिले थे. रिश्वतखोरी के अलावा एम्स के लिए खरीदे जाने वाले सामान में बड़े पैमाने में भ्रष्टाचार का शक है. इस मामले में आय से अधिक संपत्ति को लेकर भी सीबीआई जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार सीबीआई को मेडिकल सामग्री सप्लाई करने वाले एक कॉन्ट्रेक्टर ने शिकायत की थी कि उसका चालीस लाख रुपये का बिल पास करने की एवज में एम्स प्रशानिक विभाग के डिप्टी डायरेक्टर धीरेन्द्र प्रताप सिंह पांच लाख रुपये मांग रहा है. प्राथमिक तौर पर सीबीआई की जांच में शिकायत सही पाई गई और इसके बाद सीबीआई ने प्लानिंग और घेराबंदी का आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.



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