BREAKING: पौने दो करोड़ रुपये की साइबर ठगी, ठगबाज गिरफ्तार

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Update: 2024-11-13 14:24 GMT
Meerut: मेरठ। रिटायर्ड बैंककर्मी और उनकी पत्नी को पांच दिन डिजिटल अरेस्ट कर 1.73 करोड़ रूपये की साइबर ठगी करने वाले एक अभियुक्त को पुलिस ने दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट टर्मिनल 03 से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम दिल्ली के थाना मोतीनगर वेस्ट निवासी सुक्रीत सहगल पुत्र राजीव सहगल है। पुलिस प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी।जिला पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि बैंक से रिटायर सूरज प्रकाश के पास 17 सितंबर को एक फोन कॉल आई थी, इसमें साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई (
CBI
) अधिकारी बताते हुए उनके खिलाफ 6.80 करोड़ रुपये के धन शोधन का मामला महाराष्ट्र में दर्ज होने की जानकारी दी थी। प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें जेल भेजने की धमकी देकर डराया और पांच दिन तक दोनों को डिजिटल अरेस्ट रखा तथा विभिन्न बैंक खातों में 1.73 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए। इस संबंध में प्राप्त तहरीर के आधार पर थाना साइबर क्राइम पर धारा 318(4) भारतीय न्याय संहिता व 66डी आई0टी0 एक्ट में पंजीकृत किया गया था । विवेचना के दौरान मुकदमा उपरोक्त में धारा 338,340(2),61(2) भारतीय न्याय संहिता की बढोत्तरी की गयी।पुलिस के मुताबिक थाना साइबर क्राइम की टीम ने मुकदमे में वांछित अभियुक्त सुक्रीत सहगल के 12 नवंबर को समय 19.15 बजे आस्ट्रेलिया से आने पर इमीग्रेशन क्लीयरेन्स हेतु दिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उपस्थित होने की सूचना प्राप्त हुई।

जिस पर नियमानुसार अग्रिम वैधानिक कार्यवाही करते हुये अभियुक्त को इंदिरा गांधी एयरपोर्ट टर्मिनल 03 दिल्ली से गिरफ्तार किया गया हैं। प्रवक्ता के अनुसार इस मामले में अब तक थाना साइबर क्राइम, जनपद मेरठ द्वारा कार्यवाही करते हुए कुल 09 अभियुक्तगण को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। प्रवक्ता के अनुसार इस मामले की गहनता से जांच की जा रही हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा विभिन्न खाता धारकों को लालच देकर बैंक में खाता खुलवाकर लोगों के साथ फ्रॉड किया जा रहा हैं। अन्य वांछित अभियुक्ततों के विरूद्व थाना
साइबर
क्राइम, जनपद मेरठ पर अग्रिम वैधानिक कार्यवाही प्रचलित हैं।गिरफ्तार अभियुक्त सुक्रीत सहगल की कहानी उसकी जुबानीः- एक दिन मेरी मुलाकात दुबई में प्रणव नामक लडकें से हुई थी। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गयी और हम लोग मिलने लगे। एक दिन हम और प्रणव साथ दुबई में दावत कर रहे थे। तो मेरे पैसे खत्म हो गये तो प्रणव ने मुझे कहा कि तू मेरे साथ काम कर मैं तुझको पैसे कमवाउंगा और मैं लालच में आ गया और तैयार हो गया। प्रणव ने मेरे से कहा तुझे खाते अरेन्ज कराकर मुझे देने होगें उनमें मैं पैसा डलवाउंगा और तू उन पैसों को खाता धारक से निकलवाकर अपने पास रख लिया करना और 7-8 दिन बाद मेरा आदमी तेरे पास आकर वो तेरे हिस्सों का 30 प्रतिशत काटकर शेष पैसे ले जाया करेगा।

बस तू खाता धारको को तलाश कर मैं तैयार हो गया और एक दिन पार्टी में प्रणव के साथ सुखप्रीत से मिला और मेरी उससे दोस्ती हो गई। सुखप्रीत को भी पैसे की जरूरत थी। तो सुखप्रीत को मैने खाता धारक उपलब्ध कराने एवं उनसे पैसे निकलवाकर मुझे देने को कहा वह भी तैयार हो गया और हम लोग भारत आ गये। भारत में मेरे पापा की कैन्टीन में काम करने वाले पंकज से मैंने खाता धारक उपलब्ध कराने को कहा। वह भी तैयार हो गया और फिर हम तीनों लोग मिलकर एक दिन पहले खाता संख्या लेते थे और अगले दिन पकंज व सुखप्रीत खाता धारक को साथ लेकर आते थे और जब खाता धारक के साथ सुखप्रीत व पंकज मिल जाते थे तो मुझे वाट्सअप्प पर काल करके बताते थे और मै प्रणव को बताता था। वह खातो में पैसा डलवाता था पैसे आने पर
पंकज
व सुखप्रीत खाता धारक से पैसे निकलवाकर प्रतिदिन शाम को मुझे दे देते थे और मैं प्रणव द्वारा भेजे गये आदमी को अपना 30 प्रतिशत हिस्सा काटकर शेष पैसा दे देता था और अपने हिस्से के पैसो को अपने शोक मौज में उडाता था। आज तक जितने भी पैसे मेरे हिस्से में आये मैने सारे खर्च कर लिये। हम लोग आपस में मेरे द्वारा खरीदे एक फर्जी सिम से वाट्सअप्प पर ही बात करते थे। मैंने उसका उस नम्बर का एक वाट्सअप्प पर विजिनेस अकाउन्ट शर्मा फाइनेंस एण्ड कारपोरेशन नाम से बना रखा था और जिस दिन पुलिस ने सुखप्रीत को पकड लिया था उस दिन भी मैंने सुखप्रीत से वाट्सअप्प पर चेट की थी और मैने वाट्सअप्प को डिलीट कर के फोन को चलती गाडी से फेंक दिया था और मै विदेश भाग गया था।
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