यूपी चुनाव में सट्टेबाज भी सक्रिय, पसंद के दलों पर लगा रहे दांव

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Update: 2022-02-13 06:23 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सट्टे का धंधा कोई नया नहीं है ढ्ढ कानून की सख्ती के बावजूद सट्टे का धंधा जीबी लगातार जारी है ढ्ढ सट्टे के धंधे का वर्तमान स्वरूप दुनिया के शेयर बाजार के आकड़ों पर केंद्रित है और शेयर बाजार के आकड़ों के अनुसार सटोरिए रोजाना अपनी किस्मत को आजमाते हैं ढ्ढ लेकिन प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर भी सट्टेबाज तेजी के साथ सक्रिय हो चुके हैं ढ्ढ प्रदेश में अगली सरकार किस दल की बनेगी ? यह प्रश्न जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय हैं, वही सट्टा बाजार प्रदेश में अगली सरकार भाजपा की बनने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है ढ्ढ यही कारण है कि नयी सरकार को लेकर सट्टा बाजार में सबसे कम रेट भाजपा का है ढ्ढ भाजपा की जीत को लेकर जो भी सट्टा लगा रहा है, उसे सबसे कम दाम मिल रहे हैं ढ्ढ सट्टा बाजार से जुड़े लोग बताते हैं कि कोई भी पार्टी कुछ भी दावे कर रही हो, लेकिन प्रदेश में अगली सरकार भाजपा की ही बनेगी ढ्ढ इसीलिए भाजपा की जीत पर एक के बदले एक का ही रेट चल रहा है ढ्ढ इसी तरह समाजवादी पार्टी का रेट एक के बदले तीन का, बहुजन समाज पार्टी का रेट एक बदले पांच का और कांग्रेस का रेट एक बदले आठ का चल रहा है ढ्ढ अन्य किसी दल के लिए सटोरियों के पास या तो कोई आ नहीं रहा है और जो आ भी रहा है तो उसे एक बदले दस से पंद्रह का रेट दिया जा रहा है ढ्ढ यहाँ पर समझना यह होगा कि अगर कोई व्यक्ति भाजपा की जीत के लिए दस रूपये का सट्टा लगाता है तो उसे जीत के बदले सिर्फ बीस रूपये ही मिलेंगे, जबकि सपा की जीत पर तीस रूपये, बहुजन समाज पार्टी की जीत पर पचास रूपये और कोंग्रेस की जीत पर अस्सी रूपये मिलेंगे ढ्ढ

वर्तमान में सट्टा बाजार में सिर्फ भाजपा और समाजवादी पार्टी पर ही सबसे ज्यादा सट्टा लग रहा है ढ्ढ समाजवादी पार्टी पर लगने वाले सट्टे का जो प्रतिशत पिछले सप्ताह तक सबसे ज्यादा था, अब उसमे गिरावट आनी शुरू हो चुकी है ढ्ढ भाजपा प्रत्याशियों की सूची जारी होने और समाजवादी पार्टी द्वारा आपराधिक छवि वाले नेताओं का उम्मीदवार के रूप में नाम घोषित होने के बाद भाजपा के प्रति सटोरियों का झुकाव बढ़ता जा रहा है ढ्ढ यही कारण है कि दो सप्ताह पहले तक जिस भाजपा का रेट एक पर तीन का था, वह अब एक पर एक का हो गया हैढ्ढ
सट्टा बाजार से जुड़े लोग बताते है कि प्रदेश में नयी सरकार का गठन भाजपा ही करेगी क्योकि अन्य दलों के प्रति आम जनता का रूख अब स्पष्ट रूप से नकारात्मक नजर दिखने लगा है ढ्ढ इसलिए भाजपा का रेट कम होता जा रहा है क्योकि सट्टा बाजार से जुड़े लोग जोखिम उठाने के मूड में नहीं है ढ्ढ यहाँ पर गौर करने लायक बिंदु यह भी है कि सटोरियों को यह समझ आ रहा है कि नयी सरकार एक बार फिर भाजपा की होगी और मुख्यमंत्री पद की जिमेदारी एक बार फिर योगी आदित्यनाथ को मिलेगी ढ्ढ इसीलिए नए मुख्यमंत्री के लिए सट्टा नहीं लगवाया जा रहा है ढ्ढ प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सट्टे के संचालनकर्ताओं का सबसे बड़ा और मजबूत ठिकाना चौक क्षेत्र में है ढ्ढ विधानसभा चुनाव को अगर छोड़ दिया जाये तो पूरे वर्ष सट्टे का अवैध व्यापार जोर-शोर से चलता रहता है ढ्ढ सट्टे के अवैध व्यापार को अघोषित रूप से प्रशासन का सहयोग मिलता है ढ्ढ यह अलग बात है कि समय-समय पर सट्टा बाजार से जुड़े छोटे तत्वों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करके प्रशासन अपने जिम्मेदारी निभाने का दावा करता रहता है ढ्ढ
सट्टा बाजार के बड़े-बड़े तत्वों ने लखनऊ से लेकर प्रदेश के तमाम जिलों में अपने एजेंटो के रूप में छोटे-छोटे तत्वों को नियुक्त कर रखा है ढ्ढ सट्टे से पैसा कमाने की लालसा रखने वाले इन एजेंटो के माध्यम से अपने दांव लगाते है ढ्ढ जानकारी के अनुसार सट्टे के नंबर का निर्धारण विश्व के अलग शेयर बाजार के बंद होते समय आने वाले आकड़ों के आधार पर होता है ढ्ढ हर शेयर बाजार के आकड़ों के अंतिम दो अंक के आधार पर सट्टा जीतने वालों का निर्धारण होता है ढ्ढ वर्तमान में सुबह 11 बजे ताईवान शेयर बाजार, 12 बजे कोरिया शेयर बाजार, दोपहर 130 बजे हांगकांग शेयर बाजार, शाम तीन बजे भारत का शेयर बाजार, रात 10 बजे जर्मनी के शायर बाजार और सुबह 3 बजे अमेरिकी शेयर बाजार के आकड़ों के आधार पर सट्टे का खेल चलता है ढ्ढ सट्टा लगाने वाले एक अंक के बदले में एक के आठ और दो अंक के बदले में आठ सौ का भुगतान प्राप्त करते हैं ढ्ढ यही कारण है कि सट्टा खेलने वाली आम जनता के माध्यम से रोजाना लाखो रूपये का अवैध व्यापार 24 घंटे चलता रहता है ढ्ढ बिना कुछ काम किये आसानी से रकम कमाने का लालच सट्टा बाजार की रंगीनियों को बरकऱार रखने का सबसे बड़ा माध्यम है ढ्ढ
सट्टे के विरुद्ध भारत के कानून में कई तरह की खामियों को देखा जा सकता है ढ्ढ कानून में सट्टे की रोकथाम को 'सार्वजानिक जुआ अधिनियम,1867Ó के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। लेकिन संविधान में सभी राज्यों को उनके स्वयं के जुआ/सट्टा कानून को लागू करने की शक्ति प्रदान की गई है, लेकिन विभिन्न राज्यों के कानूनों में कोई समरूपता नहीं होती है। यही कारण है कि तमाम कोशिशों के बावजूद विभिन्न राज्यों में क़ानून और व्यवस्था से जुडी एजेंसी बस येन-केन-प्रकारेण कार्रवाई करने के नाम पर अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए नजर आती हैं ढ्ढ फिलहाल उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ है ढ्ढ सट्टे का अवैध धंधा बदस्तूर जारी है और प्रदेश के आगामी चुनाव सटोरियों की कमाई का एक बड़ा माध्यम बन कर सामने आये हैं ।


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