बोर्ड परीक्षाएं ऑफलाइन न कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार
सीबीएसई, आईसीएसई समेत अन्य स्टेट बोर्ड एग्जाम्स ऑफलाइन नहीं कराने की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड एग्जाम्स अप्रैल 2022 (CBSE Board Exam 2022) में शुरू हो रहे हैं. बोर्ड्स द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार, ये परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में होनी हैं. लेकिन स्टूडेंट्स ऑनलाइन या हाइब्रिड मोड में परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं. आईसीएसई सीबीएसई ऑफलाइन परीक्षा कैंसिल (ICSE Board Exam 2022) करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका भी लगाई गई है. आज, सोमवार 21 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा ने मामले की अर्जेंट लिस्टिंग की रिक्वेस्ट भी स्वीकार कर ली है.
वकील प्रशांत पद्मनाभन् ने सुप्रीम कोर्ट में ऑफलाइन बोर्ड एग्जाम्स रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करने की अपील की. उन्होंने कहा कि 'यह कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के संबंध में है. कोरोना महामारी के कारण फिजिकल क्लासेस भी संचालित नहीं की जा सकी थीं.' इसपर सीजेआई एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने कहा कि 'ठीक है. मामले को जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की बेंच के पास भेजते हैं.'
Board Exam 2022: क्या है मांग
15 राज्यों के छात्रों ने अर्जी दाखिल कर ऑफलाइन परीक्षा रद्द करने और वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से रिजल्ट तैयार कराने की मांग की है. इसके अलावा याचिका में सभी बोर्ड्स को समय पर रिजल्ट घोषित करने के लिए निर्देश देने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के कारण सुधार परीक्षा यानी इंप्रूवमेंट एग्जाम (Improvement Exam 2022) का विकल्प देने की भी मांग की गई है.
बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने भी रिट याचिका लगाई है जिसमें सीबीएसई (CBSE), आईसीएसई (ICSE), एनआईओएस (NIOS) समेत अन्य सभी स्टेट बोर्ड 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द करने और मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीके अपनाने का निर्देश देने की मांग की है.
याचिका में कहा गया है कि 'कुछ स्टेट बोर्ड ने टाइमटेबल जारी कर दिया है लेकिन कुछ अभी भी चर्चा ही कर रहे हैं. राज्य सरकारों और बोर्ड्स के इस बर्ताव से स्टूडेंट्स भी असंतुष्ट हैं. छात्र अपने भविष्य और करियर को लेकर चिंतित और तनाव में हैं. लेकिन स्टेट बोर्ड सिर्फ मूकदर्शक बने हुए हैं.'