कारगिल में हुआ विस्फोट, 2 लोगों की मौत, 6 घायल

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Update: 2023-08-18 16:26 GMT
लद्दाख। लद्दाख के द्रास करगिल में शुक्रवार को संदिग्ध धमाका हुआ. इस धमाके में दो लोगों की मौत हो गई जबकि छह घायल हो गए. यह धमाका करगिल के कबाड़ी नाले इलाके में हुआ. पुलिस घटना की जांच कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि यह संदिग्ध धमाका करगिल जिले में कबाड़ी की एक दुकान के भीतर हुआ जिसमें कई लोग घायल हो गए. द्रास के कबाड़ी नाले इलाके में कबाड़ी की दुकान के भीतर एक संदिग्ध चीज में विस्फोट हो गया. एक गैर स्थानीय सहित कुल दो लोगों की इस घटना में मौत हुई है. घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है. इस साल अप्रैल महीने में भी इसी तरह का एक धमाका हुआ था. 1999 करगिल युद्ध के समय के एक जिंदा बम में विस्फोट की वजह से एक किशोर की मौत हो गई थी जबकि दो लोग घायल हो गए थे. यह धमाका एस्ट्रो फुटबॉल ग्राउंड के पास कुरबाथांग में हुआ था. बता दें कि यह जिंदा बम 1999 के करगिल युद्ध के समय का था.
बता दें कि करगिल का नाम सुनते ही 1999 में हुआ करगिल का युद्ध याद आता है. करगिल जंग की शुरुआत मई में हुई थी. भारत को पाकिस्तान की इस हरकत के बारे में मई में पता चला लेकिन इसकी तैयारी दुश्मन ने कई महीनों पहले से ही शुरू कर दी थी. नवंबर 1998 में पाकिस्तानी सेना के एक ब्रिगेडियर को करगिल सेक्टर की रेकी करने भेजा गया था. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही इस पूरे प्लान को अंजाम दिया गया था. जनवरी 1999 में पकिस्तान के स्कर्दू और गिलगिट में तैनान फ्रंटियर डिविजन के जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं. पकिस्तान के ये हिस्से भी उंची पहाड़ियों वाले थे. सर्दियों में ये लोग भी अपनी चौकियां छोड़कर छुट्टियां मनाने घर लौट जाते थे.
शुरुआत में 200 जवानों को सिविल ड्रेस में भारतीय सीमा में भेजा गया. लेकिन जब पता चला कि यहां भारतीय सेना का कोई जवान नहीं है, तो और जवान बुलाए जाने लगे. सर्दियां खत्म होते-होते तक 200 से 300 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा पाकिस्तान ने कब्जा लिया था. करगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और जबकि 1500 से अधिक घायल हुए. भारतीय सेना के 562 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए. विश्व के इतिहास में करगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है. दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था. आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत मिली और ये दिन करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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