ग्वालियर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजनीति में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का खास महत्व है। यही कारण है कि राजनीतिक दल इस इलाके में अपनी ताकत को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। भाजपा भी अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कदमताल तेज कर चुकी है। इतना ही नहीं पार्टी एकजुटता दिखाने में भी पीछे नहीं रहना चाहती और ग्वालियर के गौरव दिवस के कार्यक्रम में एकजुटता दिखाने में पार्टी पीछे भी नहीं रही। ग्वालियर-चंबल वह इलाका है जहां से भाजपा के कई दिग्गज नेताओं का नाता है, इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं तो इसके अलावा राज्य सरकार के आधा दर्जन मंत्री शामिल हैं। यह क्षेत्र अटल बिहारी वाजपेयी, विजयाराजे सिंधिया से लेकर आरएसएस के प्रभाव वाला रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र को सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाला माना जाता है।
पिछले कुछ दिनों से बीच-बीच में सिंधिया और तोमर के बीच बेहतर तालमेल न होने की बातें सामने आती रही है और यह स्थिति भाजपा के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जयंती पर रविवार को ग्वालियर का गौरव दिवस मनाया गया। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में नेताओं के बीच की दूरियां कम होती भी दिखी। एक मंच पर सिंधिया और तोमर तो थे ही, साथ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी थे। कुल मिलाकर इस आयोजन के जरिए भाजपा ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में विधानसभा की कुल 34 सीटें आती हैं इनमें से वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने 26 स्थानों पर जीत दर्ज की थी तो वही भाजपा सात पर आकर सिमट गई, जबकि वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 20 और कांग्रेस को 12 सीटें ही मिली थी। वर्ष 2018 के चुनाव में सिंधिया कांग्रेस के साथ थे और इस जीत का सेहरा भी उनके सिर बंधा था।
कंग्रेस ने वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा से बढ़त हासिल की और सत्ता भी हासिल की, मगर सिंधिया के अपने समर्थकों के साथ पाला बदलने से कांग्रेस के हाथ से सत्ता छिटक गई। राज्य में अब विधानसभा चुनाव होने में एक साल से कम का वक्त बचा है और भाजपा की कोशिश है कि इस इलाके में अपनी पकड़ को और मजबूत किया जाए, साथ ही आपसी खींचतान पर भी विराम लगे, इस दिशा में गौरव दिवस का कार्यक्रम भाजपा के लिए एक अच्छा संदेश देने वाला तो है ही।
ग्वालियर-चंबल अंचल के विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर रहने वाली है। गुटबाजी दोनों दलों में है, चाहे कांग्रेस हो या भाजपा। दोनों दलों में से जो गुटबाजी को कम कर लेगा और बेहतर उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगा उसे सफलता जरूर मिलेगी। इसके बावजूद अगला विधानसभा चुनाव इस इलाके के बड़े नेताओं का भविष्य जरुर तय करेगा।