बीजेपी ख़ामोशी से बदल देती है मुख्यमंत्री, 6 महीने में हटाए 5, तो होगा ये भी...?

Update: 2021-09-13 09:01 GMT

फाइल फोटो 

नई दिल्ली: गुजरात में बीजेपी ने मुख्यमंत्री (Gujarat new CM) का चेहरा बदल दिया है. विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel Gujarat CM) को राज्य का नया सीएम बनाया गया है. इस तरह रुपाणी पिछले छह महीने में हटाए जाने वाले बीजेपी के 5वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. पहले असम में चुनाव नतीजों के साथ ही नेतृत्व परिवर्तन हुआ. फिर उत्तराखंड में दो सीएम बदले गए. कर्नाटक से येदियुरप्पा की विदाई हुई और अब गुजरात में विधानसभा चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदल दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि अगला नंबर किसका होगा? क्या बीजेपी में हटाए जाने वाले मुख्यमंत्रियों की ये लिस्ट और भी लंबी हो सकती है?

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने विभिन्न राज्यों में नई लीडरशिप उभारने की दिशा में काम आरंभ किया. हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी ने नए चेहरों पर दांव खेला. जहां-जहां ये दांव असरदार नहीं रहा, वहां बदलाव करने में पार्टी नहीं हिचक रही. पांच महीनों में चार राज्यों में जो बदलाव हुए हैं उससे बाकी राज्यों में बीजेपी सरकार को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या गोवा, हरियाणा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी यही फॉर्मूला लागू हो सकता है?
गोवा
गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. छोटा राज्य होने के बावजूद गोवा में राजनीतिक उठापटक ज्यादा होती है. गोवा में बीजेपी के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ-साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे भी 2022 के सीएम पद के दावेदार के तौर पर अपने आपको पेश कर रहे हैं. कोरोना प्रबंधन को लेकर दोनों ही नेताओं के बीच खींचतान की खबरें भी आई थी. विश्वजीत राणे पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे के पुत्र हैं और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं.
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां बहुमत से दूर हो गई थी, लेकिन नंबर गेम के जरिए वो सरकार बनाने में सफल रही. चुनाव सिर पर हैं और पार्टी सचेत. पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सियासी थाह लेने के लिए गोवा का दौरा भी किया था. उन्होंने दोनों नेताओं के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया था. प्रमोद सावंत के कोरोना प्रबंधन को लेकर खूब सवाल उठे थे. गोवा के अस्पतालों से जैसी तस्वीरें सामने आईं वैसी बीजेपी शासित किसी दूसरे राज्य में नहीं दिखीं. इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में न भुगतना पड़े इसके लिए बीजेपी यहां बदलाव की कवायद कर सकती है.
हरियाणा
मनोहर लाल खट्टर को लेकर हरियाणा की सबसे बड़ी आबादी वाला जाट समाज कई बार नाराजगी जता चुका है. साल 2019 में हरियाणा में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जेजेपी की मदद लेनी पड़ी. लेकिन अब किसानों की नाराजगी बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान खुलेआम खट्टर सरकार के मंत्रियों और राज्य के बीजेपी नेताओं के खिलाफ खड़े हो गए हैं. सरकार उन्हें मनाने में नाकाम रही है.
यूपी में कुछ महीने में चुनाव हैं. बीजेपी के खिलाफ जिस तरह जाट लामबंद होकर पंचायतों में जुट रहे हैं उसका नुकसान पार्टी को यूपी में भी उठाना पड़ सकता है. ऐसे में कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर गुजरात, कर्नाटक की तरह बीजेपी हरियाणा में भी नेतृत्व परिवर्तन की राह पर चलते हुए किसी जाट चेहरे पर दांव लगा दे.
त्रिपुरा
पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में भी मुख्यमंत्री बिप्लव देव को लेकर नारजगी चल रही है. पिछले दिनों बीजेपी के डेढ़ दर्जन विधायकों ने सीएम बिप्लव को लेकर बगावत का झंडा उठा लिया था, जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री को दिल्ली तलब किया था. हालांकि, बीजेपी ने अगस्त के आखिर में बिप्लव सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार कर राज्य में पनप रहे असंतोष को खत्म करने की कवायद की है.
2023 में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी त्रिपुरा में बढ़ती गतिविधियां देखते हुए बीजेपी सचेत है. बीजेपी में आंतरिक असंतोष का कहीं टीएमसी और लेफ्ट के स्तर से फायदा न उठा लिया जाए, इसको लेकर बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है. बिप्लव देव पार्टी का युवा चेहरा हैं लेकिन अपने बयानों से वे अक्सर विवादों में रहते हैं और पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी 2018 के चुनाव लड़कर भले ही सत्ता गवां दी हो, लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने खेमे में मिलाकर शिवराज एक बार फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हैं. ऐसे में बीजेपी फिलहाल भले ही शिवराज को बदलने का जोखिम न उठाए, लेकिन पार्टी उनके विकल्प के तौर पर दूसरे नेताओं को आगे बढ़ाती नजर आती है. पिछले दिनों शिवराज और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच सियासी टकराव भी देखने को मिला था.
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद राजनीतिक विश्लेषकों और बीजेपी रणनीतिकारों को लगता है कि बीते कुछ सालों में राज्यों में एक ऐसा मतदाता वर्ग तैयार हुआ है जो लोकसभा चुनाव में तो पीएम मोदी के नाम पर वोट करता है, लेकिन विधानसभा चुनाव में स्थानीय नेतृत्व को सामने रख कर वोटिंग करता है. ऐसे में राज्यों में जनाधार और जातीय समीकरण में फिट रखने वाले नेताओं की जरूरत है. इन राज्यों में जैसे ही जनाधार और जातिगत समीकरण में फिट नेता की तलाश पूरी होगी, नेतृत्व परिवर्तन को अमली जामा पहना दिया जाएगा.


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