ELECTION NEWS : लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में बढ़ी दूरियां और अंदरूनी खटपट पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया है। केंद्र सरकार ने RSS आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने सरकारी आदेश को वापस ले लिया है। सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगे हैं, पर आरएसएस ने सरकार की सराहना की है। इस फैसले को भाजपा की भविष्य की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उसे अपने राजनीतिक अभियान में आरएसएस के पूर्ण सहयोग की काफी ज्यादा जरूरत है। राजनीतिक दृष्टि से यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से भाजपा और आरएसएस में दूरी बन रही थी और परोक्ष रूप से एक दूसरे पर तंज भी कसे जा रहे थे। लोकसभा चुनाव में भी की तरफ से भाजपा के लिए पूरी ताकत से काम न करने का मुद्दा भी उभरा था, जिसका काफी नुकसान भाजपा को हुआ था। सूत्रों के मुताबिक, चुनावों के बीच में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का आरएसएस को लेकर दिया बयान भी आरएसएस को रास नहीं आया था। इसके पहले टिकट वितरण और कई संगठनात्मक व राजनीतिक फैसलों में भी आरएसएस की राय को दरकिनार किया गया था। आरएसएस
सूत्रों के मुताबिक, हाल में आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की रांची में हुई बैठक में भी यह मुद्दा परोक्ष रूप से आया था। इस बैठक में BJP भाजपा के महासचिव संगठन बी एल संतोष भी मौजूद थे। इसके बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान भी चर्चा में रहा, जिसे परोक्ष रूप से भाजपा के लिए ही संदेश माना गया। सूत्रों का यह भी कहना है कि मोदी सरकार में आरएसएस के एजेंडे पर काफी काम हुआ है, लेकिन आरएसएस की राय और उसका सम्मान को लेकर दिक्कतें बढ़ी हैं। ऐसे में आरएसएस ने भी एक दूरी बनाई और भाजपा को चुनावों में नुकसान हुआ। अब भाजपा आरएसएस को साधने में जुटी है और इस आदेश को इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। चूंकि इसका खुलासा भी गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ है, जो आरएसएस में गुरु दक्षिणा के रूप में मनाया जाता है।