BJP सांसद ने फोड़ा लेटर बम! BJP चीफ जेपी नड्डा को लिखा- ज्योतिरादित्य समर्थक मंत्री मेरी उपेक्षा करते हैं
गुना: ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 लोकसभा चुनाव में हराकर गुना संसदीय क्षेत्र से BJP सांसद बनने वाले केपी यादव ने उनके साथ उपेक्षा का आरोप लगया है. उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर इसकी शिकायत की है.
चिट्ठी में सांसद केपी यादव ने लिखा है कि मध्य प्रदेश सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्री और नेता उनकी लगातार उपेक्षा कर रहे हैं. उन्होंने यह चिट्ठी दिसंबर 2021 में लिखी थी, जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है. चिट्ठी के वायरल होते ही राज्य की सियासत गरमा गई है.
अपनी चिट्ठी में केपी यादव ने लिखा है 'सिंधिया समर्थक मंत्री और नेता पार्टी या सरकारी कार्यक्रमों में मुझे निमंत्रण तक नहीं भेजते. उद्घाटन या लोकार्पण कार्यक्रम की शिलापटि्टका पर भी उचित स्थान नहीं दिया जाता. जबकि इनमें से कई कामों को मेरे ही प्रयासों से मंजूरी मिली है. यादव ने लिखा है कि सिंधिया समर्थक मंत्री उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठकों का लगातार बॉयकॉट कर रहे हैं'
केपी यादव ने लिखा है कि इससे गुना, शिवपुरी और अशोकनगर जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जाता है. ग्वालियर-चंबल संभाग पर इसका खराब असर पड़ सकता है. सांसद ने पत्र में लिखा है कि गुना संसदीय क्षेत्र पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी नजर है. कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी होने पर गुटबाजी बढ़ सकती है, जिसका फायदा दूसरी राजनीतिक पार्टी उठा सकती हैं.
यादव ने जिले के जनसंपर्क अधिकारियों पर भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मैंने संसद के सभापति को इस बारे में अवगत कराया था कि कुछ अधिकारी जानबूझकर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं. मेरे लोकसभा क्षेत्र में मैंने जो कार्य स्वीकृत कराए हैं. उनमें अधिकारियों ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए शिलापट्टिका और पोस्टर बैनरों में मेरी फोटो तक नहीं लगाई. यह मेरे अधिकारों का हनन है.
केपी यादव 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सुर्खियों में आए थे. उन्होंने कांग्रेस की सबसे मजबूत सीटों में से एक गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर उस समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया था. हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कई समर्थक मंत्रियों और नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी में आ गए. सिंधिया के साथ भाजपा में आए नेताओं को शिवराज सरकार में महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री तो बनाया ही गया, इसके साथ ही कई अन्य कार्यकर्ताओं और नेताओं को संगठन में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई.