लखनऊ (आईएएनएस)| यूपी में हो रहे नगर निकाय का चुनाव लोकसभा से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। एक चरण बीत जाने के बाद दूसरे चरण में 11 मई को वोट पड़ेंगे। इस चरण में भाजपा की असली परीक्षा होनी है। क्योंकि पार्टी ने कई नए प्रयोग किए हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दूसरे चरण उसके सामने अलीगढ़, मेरठ को बसपा से छीनने और नई नगर निगम बनी शाहजहांपुर को अपने पाले में लाने की चुनौती है। तो वहीं अयोध्या और बरेली में कुछ अलग तरह की उलझन देखने को मिल रही है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पहले चरण में मतदान कम होना भी अपने आप में एक दिक्कत है। ऊपर से कई जगहों पर बागी चुनाव लड़कर भाजपा उम्मीदवारों का खेल खराब कर रहे हैं। इस चरण में सात सीटें हैं जिनमे चुनाव होना है।
भाजपा के सामने मेरठ और अलीगढ़ को बसपा से छीनने की चुनौती है, जो पिछली बार बसपा के पाले में थीं। वहीं शाहजहांपुर बनी नई नगर निगम पर भाजपा ने सपा के मेयर उम्मीदवार को अपने पाले में कर लिया है और उसे चुनाव लड़ा रहे हैं। इससे भी कई कार्यकर्ता जो चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले थे, भीतर भीतर कुछ दिक्कतें दे सकते हैं। हालांकि प्रदेश नेतृत्व लगातार बागियों पर गाज गिरा रहा है लेकिन अंदर खाने में वो परेशानी खड़ी कर रहे हैं। उधर कानपुर में भी सांसद के रिश्तेदार को टिकट न मिलने से भी कुछ लोग नाराज हैं। उस स्तर से मेहनत नहीं कर रहे जैसे करना चाहिए।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो अयोध्या में भी वर्तमान मेयर ऋषि उपाध्याय का टिकट जमीन विवाद के कारण काटकर गिरिशपति को दिया गया है। नया चेहरा होने के कारण पार्टी को यहां दोहरी मेहनत करनी पड़ रही है। बरेली में निर्वतमान मेयर उमेश गौतम को अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी आईएस तोमर से कड़ी चुनौती मिल रही है।
राजीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि निकाय चुनाव में विपक्ष उतनी गंभीरता से लड़ रहा जीतना भाजपा ने जोर लगाया है। सरकार संगठन के मुखिया से लेकर कार्यकर्ता तक चुनाव में जुटे हैं। पहले चरण का मतदान खत्म होने से पहले ही दूसरे चरण की तैयारी में जुट गई थी। पार्टी दूसरे चरण की सीटों पर पूरी ताकत झोंकेगी।
दरअसल, दूसरे चरण जिन सात नगर निगमों में चुनाव होने हैं। उसमें स्थितियां थोड़ी अलग हैं। पहले चरण की सहारनपुर और मुरादाबाद पर पार्टी ने ज्यादा ताकत लगाई थी। अब दूसरे चरण में गाजियाबाद, मेरठ, अलीगढ़, शाहजहांपुर, बरेली, कानपुर नगर और अयोध्या नगर निगम में चुनाव होना है। यहां पर बागियों और भीतरघात करने वालों को पार्टी को और कसना होगा। बूथ अध्यक्ष और प्रदेश टीम को मजबूती से लगना होगा। जातिगत समीकरण को देखते हुए कुछ पुराने लोगों को मनाना होगा। जिससे वह चुनाव में पूरे मनोयोग से लगें। क्योंकि इस चुनाव के परिणाम ही लोकसभा चुनाव में पार्टी की ताकत को सिद्ध करेंगे।