कर्नाटक। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के खिलाफ वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री आर. अशोक को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले को अच्छी रणनीति माना जा रहा है। हालांकि जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर गड़ाए शिवकुमार के लिए यह लड़ाई सिर्फ जीत के अंतर को कम करने का काम करेगी। बेंगलुरु ग्रामीण जिले में कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र को सात बार के विधायक शिवकुमार का किला माना जाता है। इसे राज्य कांग्रेस के लिए शक्तिस्तंभ के रूप में देखा जाता है। शिवकुमार ने पहले सथानूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए 1989 से वहां से चार बार जीते। इस दौरान 1999 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी को भी हराया। सीटों के परिसीमन के बाद, साथनूर निर्वाचन क्षेत्र समाप्त हो गया और शिवकुमार ने 2008 में कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। तब से इस सीट पर उनका वोट शेयर लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने 2008 में 68,096 वोट हासिल किए। उन्हें 2013 के चुनाव में 1,00,007 वोट मिले थे। वहीं, 2018 में उन्हें 1,27,552 वोट जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जद (एस) के नारायण गौड़ा को 47,643 मत मिले।
आय से अधिक संपत्ति का मामला और भ्रष्टाचार के आरोप, तिहाड़ जेल में उनके कारावास ने शिवकुमार के वोट आधार को मजबूत ही किया है। वह उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिन्होंने दक्षिण कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के परिवार के नायकत्व को सफलतापूर्वक चुनौती दी। जब तक ईसा मसीह की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का विवाद खड़ा नहीं हुआ, तब तक इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा अस्तित्व में नहीं थी। प्रतिमा के निर्माण के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के नेता और हिंदू कार्यकर्ता कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी संख्या में आए और आंदोलन तथा धरना दिया।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान ईसा मसीह की मूर्ति बनाने के प्रयास को मुद्दा बनाएगी। पार्टी के दिग्गजों नेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार की भी योजना है, जिससे यहां मुकाबला कांटे का हो सके। आर. अशोक, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री हैं। उन्हें पार्टी ने पहले उपमुख्यमंत्री भी बनाया था। 'ऑपरेशन लोटस' के माध्यम से पार्टी में दूसरे वोक्कालिगा नेताओं के शामिल होने से पहले वह भाजपा का वोक्कालिगा चेहरा थे। अशोक पद्मनाभनगर (पहले उत्तरहल्ली) निर्वाचन क्षेत्र से छह बार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार वह पद्मनाभनगर और कनकपुरा दोनों सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।
शिवकुमार ने कहा है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा और एच.डी. कुमारस्वामी को हरा चुके हैं उन्होंने कहा, मैं भाजपा द्वारा मेरे खिलाफ आर. अशोक को उतारने से चिंतित नहीं हूं। अशोक ने शिवकुमार के खिलाफ कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले के बारे में कहा कि वह पार्टी के एक वफादार सिपाही हैं। सैनिकों का क्या काम है, हमारे कमांडर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आदेश लेना।मुझे आपातकाल के दौरान एक विरोध प्रदर्शन करने और जेल जाने के लिए कहा गया था। मैंने इसे तुरंत किया और 16 या 17 साल की उम्र में जेल गया। बाद में, मुझे जम्मू-कश्मीर जाने के लिए कहा गया, मैं वहां विरोध करने गया। अब, मुझे कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है और मैं चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करूंगा।
शिवकुमार और अशोक दोनों वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र रामनगर जिले में है और इसमें 2,20, 409 मतदाता हैं। वोक्कालिगा में लगभग 1.10 लाख मतदाता हैं, एससी-एसटी समूहों में 55,000 वोट हैं, मुसलमानों में 20,000 मतदाता हैं, लिंगायत में 12,000 वोट हैं। शिवकुमार देश के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक हैं और उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में 840 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मुकाबला निश्चित रूप से भाजपा को निर्वाचन क्षेत्र में अपना आधार बनाने में मदद करेगा।