बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने कहा- कोई भी आए, रायबरेली में खिलेगा कमल

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Update: 2024-05-02 14:47 GMT
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार यूपी की चर्चित सीटों में एक रायबरेली पर अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. पार्टी एक बार फिर दिनेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है. ये वही दिनेश प्रताप हैं, जो 2019 के चुनाव में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बीजेपी के ही टिकट पर चुनौती दे चुके हैं. हालांकि तब करीब पौने दो लाख लोटों से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस बार बीजेपी प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर अश्वास्त नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस को स्पष्ट चुनौती देते हुए दावा किया है कि चाहे प्रियंका यहां से लड़े या फिर राहुल गांधी, रायबरेली में इस बार कमल खिलेगा.
आजतक से खास बातचीत करते हुए दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने छोटे से कार्यकर्ता पर जो भरोसा किया है, इसके लिए मैं अपने देश के प्रधानमंत्री, अपने देश के गृहमंत्री, अपनी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी रायबरेली के छोटे-छोटे उन कार्यकर्ताओं का धन्यवाद देता हूं, जिनकी भावनाओं को सुनकर हमारी राष्ट्रीय पार्टी और राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझे इस लायक समझा. मैं इन सबका हृदय से धन्यवाद देता हूं और भरोसा दिलाता हूं कि उनके भरोसे को कभी हारने नहीं दूंगा. उनके भरोसे को कायम रखूंगा. रायबरेली में कमल खिलेगा, जो देश के प्रधानमंत्री जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का काम आएगा.
उन्होंने कहा कि ये रायबरेली कांग्रेस का गढ़ कभी रहा होगा. जब से प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश की कमान संभाली है, देश सुरक्षित है. मोदी जी के हाथों में देशवासियों की गाढ़ी कमाई का पैसा सुरक्षित है. मैं कह सकता हूं कि रायबरेली जनपद में न एक गांव का प्रधान कांग्रेस का जीतता है, न एक बीडीसी जीतता है, नए एमएलसी जीतता है, न एक जिला पंचायत सदस्य जीतता है. आज रायबरेली भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है. रायबरेली का जिला पंचायत अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी का है. रायबरेली में सबसे ज्यादा वोट आज भी भारतीय जनता पार्टी के पास हैं और इस बार रायबरेली में मोदी जी के भरोसे की जीत होगी.
उन्होंने कहा कि इस बार रायबरेली के भरोसे की जीत होगी. रायबरेली के भरोसे को इन नकली गांधियों ने तोड़ा है. इसका जवाब रायबरेली की जनता जरूर देगी. मैं सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ चुका हूं, जो चार छह बार की सांसद रह चुकी हैं. चार बार रायबरेली से रहीं. इसके अलावा भी अमेठी से सांसद रही हैं. अगर सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़के उनके दांत खट्टे कर सकता हूं तो प्रियंका गांधी की क्या मजाल. उनमें न भारतीय संस्कार हैं और वह संस्कृतिविहीन हैं. अगर वो आएंगी तो हार के जाएंगी. कांग्रेस ने अब तक इसलीए उम्मीदवार नहीं उतारे क्योंकि वो वोट लेकर यहां से हर बार चले गए, अब किस मुंह से यहां वोट मांगने आएंगे. मेरे खिलाफ राहुल-प्रियंका, कोई भी आए मेरा निशाना कमल के फूल की जीत पर है.
दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि मुझे देशवासियों को बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि एक बार देश के प्रधानमंत्री जी ने प्रियंका गांधी को बिटिया कहके संबोधित किया था और वही प्रियंका गांधी हैं, जिन्होंने कहा में मोदी की बिटिया नहीं मैं राजीव गांधी की बिटिया हूं. अगर देश का प्रधानमंत्री और उम्रदराज व्यक्ति भारत में किसी को बेटी कहता है तो उस बेटी के लिए गर्व का विषय होता है, न कि ऐसा प्रतिक्रिया देना तो मैं कह सकता हूं प्रियंका गांधी रायबरेली में कुछ नहीं कर पाएंगी. अगर आएंगी भी तो हार के जाएंगी. रायबरेली में कमल खिलेगा.
कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार के नामों में देरी करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि रायबरेली में कांग्रेस के विलंब करने का कारण एक है, जब 2014 में आए, वोट लेकर चले गए. 2019 में आए, फिर वोट लेकर चले गए. 2024 में किस मुंह से आएंगे? दस-दस साल वोट लेकर कर चले जाएं और लौटने के जनता उनको क्या जवाब देगी. तो मैं समझता हूं कि वो (कांग्रेस) जनता के जवाब के भय से प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रहे हैं. मेरे लिए तो चाहे प्रियंका गांधी, चाहे राहुल गांधी आएं, मुझे अपना कमल का फूल दिखाई देता है. मुझे कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं दिखाई देता है.
बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि आज रायबरेली जनपद का विकास हो रहा है. रायबरेली से अयोध्या धाम फोरलेन, रायबरेली से प्रयागराज फोरलेन, रायबरेली से कानपुर फोरलेन, रायबरेली का रिंग रोड फोरलेन, रायबरेली से गंगा एक्स्प्रेसवे. जितना विकास रायबरेली की पावन धरा पर इस समय हो रहा है, उतना सोनिया गांधी और गांधी परिवार ने रायबरेली का कभी पच्चीस साल में विकास नहीं किया.
ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई.
कांग्रेस पार्टी में दिनेश प्रताप को कद, पद और ख्याति, तीनों ही मिले. पहली बार 2010 एमएलसी बने और 2011 में उनकी भाभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. फिर 2016 में दोबारा एमएलसी बने और इनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष बने. उनके एक भाई 2017 में हरचंदपुर से कांग्रेस पार्टी से विधायक बने. फिर 2019 के आते-आते इनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया और ये बीजेपी में शामिल हो गए .
बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए. तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था. सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी. वहीं उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो, इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया और इस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र राज्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं.
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