नई दिल्ली: बिलकिस बानो रेप केस में उम्रकैद की सजा पाए दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 9 सितंबर को सुनवाई करेगा. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.
इस मामले में पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने शुरुआती सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. कोर्ट ने बिलकिस बानो की इस याचिका में रिहा किए गए सजायाफ्ता 11 दोषियों को भी पक्षकार बनाने का आदेश देते हुए उनको भी याचिका की प्रति देने को कहा था.
25 अगस्त को बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था.गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले में सभी 11 दोषियों को संविधान प्रदत्त अधिकार के तहत रिहा कर दिया है. गुजरात सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है. यहां तक कि विपक्ष के साथ साथ तमाम बीजेपी नेताओं ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं.
27 अगस्त को बिलकिस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ 134 पूर्व नौकरशाहों ने CJI के नाम एक खुला पत्र लिखाकर इस मामले में न्याय करने की गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा कि वे गुजरात सरकार के इस फैसले से बेहद निराश हैं. उन्होंने 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई को 'भयानक गलत फैसला' करार दिया. पत्र में उन्होंने इसे सुधारने का अनुरोध किया. पूर्व सिविल सेवकों में दिल्ली के पूर्व राज्यपाल नजीब जंग, वजाहत हबीबुल्ला, हर्ष मंदर, जूलियो रिबेरो, अरुणा रॉय, जी. बालचंद्रन, राशेल चटर्जी, नितिन देसाई, एच. एस. गुजराल और मीना गुप्ता भी शामिल हैं.
पत्र में नौकरशाहों ने ये भी कहा है कि यह ऐसा दुर्लभ मामला था जिसमें बलात्कारियों और हत्यारों को दंडित किया गया. इसके अलावा इस मामले से जुड़े पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों को भी आरोपियों को बचाने और अपराधों के सबूत मिटाने के लिए इस्तेमाल किया गया. ऐसे में कैदियों को रिहाई देना काफी निराशाजनक है.
गुजरात के गोधरा में 2002 में दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था. उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी. इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इन दोषियों में से एक ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
कोर्ट ने रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था. गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ा फैसला लेने के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की रिपोर्ट पर ही सभी दोषियों को रिहा किया गया है.
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं.
बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन अब गुजरात सरकार के फैसले के बाद सभी 11 दोषी रिहा हो गए. इस मामले में जिन दोषियों को रिहाई मिली है, उनमें जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं.