नई दिल्ली: ISRO यानी भारती अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मिशन चंद्रयान 3 से जुड़ी एक राहत की खबर है। उम्मीद जताई जा रही है कि चांद पर लंबी रात खत्म होने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर काम शुरू कर सकते हैं। चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है और इस लिहाज से चंद्रमा पर भी रात होने में कुछ ही दिनों का समय बाकी है।
दरअसल, चंद्रयान 3 को चांद के एक दिन के लिए डिजाइन किया गया था। अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में मिशन ऑपरेशन्स डायरेक्टर एम श्रीकांत ने बताया है कि विक्रम और प्रज्ञान का अब तक का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इसके चलते संभावनाएं जताई जा रही हैं कि चांद की लंबी (पृथ्वी के 14 दिन) रात गुजरने के बाद रोवर और लैंडर दोबारा काम करना शुरू कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि चांद के एक दिन का साइंटिफिक डेटा हासिल करना उद्देश्य पूरा हो जाए। हम रोवर की गतिविधियों और पेलोड ऑपरेशन्स पर ध्यान लगा रहे हैं। यह अगले 7 दिनोंतक और जारी रहेगा और सूर्य अस्त होने के बाद ये सो जाएंगे। अब तक सब कुछ ठीक लग रहा है और हमें विश्वास है कि रात खत्म होने के बाद लैंडर और रोवर फिर जीवित हो जाएंगे। अगर ऐसा होता, तो यह बोनस होगा और अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो भी मिशन पूरा माना जाएगा।'
उन्होंने बताया, 'एक रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। इतनी ज्यादा क्षमता वाली बैटरी शामिल नहीं की गई हैं। लैंडर बैटरी की क्षमता 62.5 एम्पीयर ऑर है। जबकि, रोवर बैटरी 10 एम्पीयर ऑर है। यह चांद पर एक दिन का मिशन पूरा करने के लिए पर्याप्त है।' उन्होंने बताया कि इन बैटरियों में छोटे ग्रहणों से निपटने की क्षमता है।
उन्होंने बताया, 'अगर सूर्य की रोशनी वापस आती है, तो एक ऑटोनोमस लॉजिक पहले ही लैंडर और रोवर पर लगाया हुआ है। अगर उन्होंने रात पूरी सफलतापूर्व काट ली, तो पर्याप्त सौर ऊर्जा मिलने के बाद उम्मीद है कि वह फिर से काम शुरू कर सकते हैं।' कहा जा रहा है कि इसरो को रात शुरू होने से पहले एक मैन्युवर करना होगा, जिससे 14 दिनों के बाद लैंडर और रोवर के फिर तैयार होने की संभावनाएं बन सकें।