नई दिल्ली: चंद्रयान-3 के लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' को आज जगाने का कार्यक्रम एक दिन के लिए टाल दिया गया है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को शुक्रवार शाम को फिर से एक्टिवेट किया जाना था, लेकिन अब इसे कई कारणों से शनिवार के लिए स्थगित कर दिया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, देसाई ने कहा, “पहले हमने 22 सितंबर की शाम को रोवर और लैंडर को फिर से एक्टिवेट करने की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ कारणों से अब हम इसे कल 23 सितंबर को करेंगे। हमारी योजना लैंडर और रोवर को स्लीप मोड से निकालकर फिर से एक्टिवेट करने की है।”
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर सुबह होने के साथ ही चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' के सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' के साथ संपर्क स्थापित कर इन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है ताकि वे वैज्ञानिक प्रयासों को जारी रख सकें। चंद्रमा पर रात होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों इस महीने की शुरुआत में क्रमशः चार और दो सितंबर को स्लीप मोड में चले गये थे। इसरो यदि चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय कर देता है तो चंद्रयान-3 के पेलोड द्वारा एक बार फिर से प्रयोग किए जा सकेंगे।
देसाई ने कहा कि रोवर को चंद्रमा की सतह पर और आगे ले जाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, “हमारी योजना रोवर को लगभग 300-350 मीटर तक ले जाने की थी। लेकिन कुछ कारणों से हम ऐसा नहीं कर सके। रोवर अब तक 105 मीटर आगे बढ़ चुका है। पिछली बार, हमने इसे चंद्रमा की सतह पर 10 दिनों के लिए चलाया था।''
चंद्रयान-3 के दोनों मॉड्यूल पृथ्वी के 14 दिनों तक प्रभावी ढंग से काम करते रहे और अपने कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। रोवर 2 सितंबर को 'स्लीप मोड' में चला गया, जबकि लैंडर 4 सितंबर को स्लीप मोड में चला गया था। देसाई ने कहा कि महत्वपूर्ण डेटा रोवर द्वारा कलेक्ट किया गया था और इसरो ने इसे हासिल कर लिया था। उन्होंने कहा, "डेटा कलेक्ट कर लिया गया है और वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।"
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र, जहां लैंडर और रोवर दोनों स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी फिर से आने और उनके सौर पैनल के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है। इसरो अब लैंडर और रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और इन्हें सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है। 24 अगस्त को विक्रम लैंडर द्वारा चंद्रमा पर 'सॉफ्ट-लैंडिंग' पूरी करने के बाद चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा, जिससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया। इसके बाद प्रज्ञान रोवर ने इन-सीटू प्रयोग किए और सल्फर (एस), एल्युमीनियम, कैल्शियम, फेरस (आयरन), क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन सहित तत्वों का सफलतापूर्वक पता लगाया।
इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया, ''हमने लैंडर और रोवर दोनों को 'स्लीप मोड' पर डाल दिया है क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जायेगा। बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय हो रहा होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे।'' उन्होंने कहा, ''यदि हमारी किस्मत अच्छी रही, तो हमारे लैंडर और रोवर दोनों सक्रिय हो जाएंगे और हमें कुछ और प्रायोगिक डेटा मिलेंगे, जो चंद्रमा की सतह की आगे की जांच के लिए हमारे लिए उपयोगी होंगे। हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने और कुछ और उपयोगी डेटा प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं।''
चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय होगा तो ये फिर सक्रिय हो जाएंगे और वहां प्रयोग तथा अध्ययन करना जारी रखेंगे।
इसरो ने चार सितंबर को कहा था, ''सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा। उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है।'' इसरो ने कहा था कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के 'विक्रम' लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था। भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।