रांची: रांची हिंसा मामले में सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फिर एक बार नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि आखिर सरकार जांच में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान स्पष्ट रूप से पूछा था कि जांच के दौरान रांची एसएसपी और थाना प्रभारी को क्यों हटा दिया गया है।
सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच क्यों नहीं की जा रही है। एसआईटी से जांच हटा कर सीआईडी को क्यों दे दी गई। लेकिन इन बिंदुओं पर सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है। अदालत ने सभी बिंदुओं पर 18 अगस्त तक राज्य के गृह सचिव और डीजीपी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से अदालत में अपना जवाब दाखिल किया गया। एनआईए की ओर से कहा गया कि उक्त मामले को लेकर उनकी ओर से कोई जांच नहीं की गई है। यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। जब तक यूएपीए का मामला नहीं बनता है, एनआईए जांच नहीं की जा सकती है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने एनआईए से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी थी। पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार को बताने के लिए कहा था कि इस घटना के पूर्व इंटेलिजेंस का क्या आउटपुट था। बता दें कि दस जून को रांची में हुई हिंसा की एनआइए जांच को लेकर पंकज कुमार यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।