स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम, रक्षा संबंधी 108 साजोसामान के आयात पर रोक
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा।
नई दिल्ली, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को 108 सैन्य हथियारों और उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी है। इन आइटम में अगली पीढ़ी के कारवेट, एयरबोर्न अर्ली वाìनग सिस्टम, टैंक के इंजन और राडार जैसे स्सिटम व साजोसामान शामिल हैं.
उल्लेखनीय है सरकार ने पिछले साल इसी तरह रक्षा संबंधी 101 वस्तुओं का आयात बंद करने के लिए पहली नकारात्मक सूची (निगेटिव लिस्ट) जारी की थी। अधिकारियों ने कहा कि दूसरी सूची में शामिल 108 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध दिसंबर 2021 से दिसंबर 2025 की अवधि में उत्तरोत्तर प्रभावी होगा। रक्षा मंत्रालय ने यह सूची राज्य के स्वामित्व वाली और निजी रक्षा विनिर्माण उद्योग निकायों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद तैयार की है.
रक्षा आयात के लिए वस्तुओं की पहली नकारात्मक सूची में खींचकर ले जाई जाने वाली आíटलरी गन, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, क्रूज मिसाइल, अपतटीय गश्ती जहाज, इलेक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली, अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाज, फ्लोटिंग डाक और पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर शामिल थे.
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के प्रयास के अनुसरण और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य मामलों के विभाग के 108 वस्तुओं की दूसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि सभी 108 वस्तुओं को अब रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 के प्रविधानों के अनुसार स्वदेशी स्त्रोतों से खरीदा जाएगा।
उल्लेखनीय है सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। रक्षा मंत्रालय की नई रक्षा खरीद नीति में 2025 तक रक्षा निर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये (25 अरब डालर) का कारोबार होने का अनुमान है।
भारत वैश्विक रक्षा दिग्गजों के लिए सबसे आकर्षक बाजारों में से एक है। पिछले आठ से दस वर्षो में सैन्य हार्डवेयर के कुछ शीर्ष आयातकों में से भारत एक है। अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेनाओं के लिए अगले पांच वर्षो में पूंजीगत खरीद पर करीब 130 अरब डालर खर्च होने का अनुमान है।