नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वर्तमान में भारत की तुलना में दूसरे देश अधिक मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं। ईंधन की ऊंची कीमतों पर सवाल पर केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने कहा, "दूसरे बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाएं द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे तेज मुद्रास्फीति और जीवन स्तर में तेज गिरावट का सामना कर रही हैं। हम ऐसी स्थिति में हैं जहां कीमतों को उसी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं जो हमारे दायरे में हैं। केवल कुछ हद तक ही कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है और नागरिकों को राहत दी सकती है।"
पुरी ने कहा कि खुदरा ईंधन बेचने वाली कंपनियों ने सरकार से इस मामले में संपर्क कर राहत मांगी है। हालांकि, उन्होंने तपाक से यह भी कहा कि कीमत तय करने के बारे में कंपनियों को फैसला करना है। उन्होंने इस रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से मना कर दिया कि निजी पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियां रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल आयात कर तथा तैयार पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका को निर्यात कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं। मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के दाम में तेजी से तेल एवं गैस कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर लगाने के बारे में निर्णय के लिए वित्त मंत्रालय उपयुक्त प्राधिकरण है।
घरेलू पेट्रोल पंपों पर ईंधन को 85 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल के मानक के आधार पर बेचा जा रहा है। जबकि ब्रेंट क्रूड फिलहाल 113 डॉलर प्रति बैरल पर है। इससे लागत और बिक्री मूल्य में अंतर है, जिससे कंपनियों को नुकसान हो रहा है। दो जून की स्थिति के अनुसार उद्योग को पेट्रोल पर प्रति लीटर 17.1 रुपये व डीजल पर 20.4 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था। मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियां नुकसान की बात कर रही हैं। जैसा कि मैंने कहा कि वे एक जिम्मेदारी कॉरपोरेट नागरिक हैं और जो भी जरूरी निर्णय होगा, वे लेंगे।
तेल के दाम में तेजी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) अप्रैल से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। यह सिलसिला पिछले 57 दिन से चल रहा है। पिछले महीने सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क घटाया। इस कटौती का लाभ ग्राहकों को दिया गया। इसे पेट्रोलियम कंपनियों को हो रहे नुकसान की भरपाई में समायोजित नहीं किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियां नुकसान के बाद भी कामकाज कर रही हैं, जबकि रिलायंस-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियों ने हानि को कम करने के लिये परिचालन में कटौती की हैं।