नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से सपा नेता आजम खान को जौहर यूनिवर्सिटी में तोड़फोड़ की आशंका को लेकर बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल जौहर यूनिवर्सिटी में कोई सरकारी कार्रवाई नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जमानत के तौर पर 13.8 हेक्टेयर जमीन को DM के हवाले करने की शर्त के फैसले पर भी रोक लगाई.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने के लिए लगाई गई शर्त पहली नजर में अनुपातहीन है. हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साधनों से इसका कोई उचित संबंध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत नोटिस जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब भी मांगा है.
बता दें कि कुछ दिन पहले ही आजम खान करीब 27 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को आजम खान को अंतरिम जमानत दी है. यूपी के सीतापुर जेल में वो 27 फरवरी 2020 से बंद हैं. यूपी में योगी सरकार के आने के बाद आजम खान के खिलाफ ऐसा कानूनी शिकंजा कसा कि एक के बाद एक कुल 89 मुकदमे दर्ज हो गए. 26 फरवरी 2020 को आजम रामपुर में गिरफ्तार हुए और 27 फरवरी 2020 से सीतापुर की जेल में बंद हैं. अब 27 महीने जेल में रहने के बाद आजम खान को सभी मामलों में जमानत मिली है.
26 फरवरी 2020 को आजम खान, तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद उन्हें रामपुर जेल में रखा गया और दूसरे दिन 27 फरवरी को सुबह तीनों को सीतापुर जेल में शिफ्ट किया गया. जिला प्रशासन को आशंका थी कि आजम खान के रामपुर में रहने से जिले की कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. दिसंबर 2021 में उनकी पत्नी जमानत पर जेल से बाहर आईं और फिर मार्च 2022 में अब्दुल्ला आजम को जमानत मिली थी.