नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में हेमंत सोरेन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट के समक्ष तीन जनहित याचिकाओं पर आगे की कार्यवाही के लिए रोक लगा दी है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ फर्जी कंपनियों के माध्यम से कथित धन शोधन के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता सोरेन के खिलाफ पहली नजर में केस स्थापित नहीं कर पाए हैं।
यह आदेश इसलिए पारित किया गया क्योंकि शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार और सोरेन द्वारा दायर अलग-अलग अपीलों पर आदेश सुरक्षित रखा था, जिसमें मुख्यमंत्री और उनके परिवार के खिलाफ जांच की मांग करने वाले शिव शंकर शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका को उच्च न्यायालय के 3 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी। मामला खनन पट्टे, उनसे जुड़ी मुखौटा कंपनियों द्वारा कथित धन शोधन और 2010 के मनरेगा अनुबंध से संबंधित है।
जस्टिस यूयू ललित, एसआर भट और सुधांशु धूलिया की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनीं। पीठ ने कहा, "पक्षकार या ईडी हेमंत सोरेन के किलाफ पहली नजर में केस स्थापित नहीं कर पाए हैं। इसलिए उच्च न्यायालय मामले को आगे नहीं बढ़ाएगा।" सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही अनुलग्नकों के साथ याचिका की एक प्रति और पक्षों द्वारा आदान-प्रदान की गई दलीलों को रिकॉर्ड में रखने के लिए कहा।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में, भाजपा नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा था कि हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को खनन पट्टे का पक्ष दिया। उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया।