फिर चर्चा में 'फैक्ट चेक' वाले मोहम्मद जुबैर

Update: 2024-12-20 11:00 GMT
प्रयागराज: ऑल्ट न्यूज के संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को यति नरसिंहानंद के एक पुराने वीडियो को पोस्ट करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने छह जनवरी तक जुबैर की गिरफ्तारी करने पर रोक लगा दी है। साथ ही, कोर्ट ने कहा है कि जुबैर कोई खतरनाक अपराधी नहीं हैं। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने मौखिक रूप से टिप्पणी की। जुबैर के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई है और इस मामले में पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए भी कहा गया है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर शुक्रवार को कई घंटे तक कोर्ट में सुनवाई चली, लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी है। अभी यूपी सरकार की दलीलें बाकी हैं। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से छह जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। शु्क्रवार को सुबह दस बजे सुनवाई शुरू हुई और दोपहर 2.20 तक चली। इस दौरान यूपी सरकार ने हाई कोर्ट के सामने यति नरसिंहानंद के भाषण पर जुबैर की पोस्ट की गई क्लिप की जानकारी दी और इसे देश की अखंडता को खतरा बताया। एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने बेंच के सामने बताया कि जुबैर की पोस्ट का उद्देश्य यति नसिंहानंद के खिलाफ हिंसा को भड़काना था। साथ ही, अलगवावादी गतिविधि की भावना को भी बढ़ावा दिया।
यति नरसिंहानंद का भड़काऊ बयान वायरल करने को लेकर जुबैर के खिलाफ पिछले दिनों दिल्ली से सटे गाजियाबाद में केस दर्ज किया गया था। अक्टूबर दर्ज प्राथमिकी में विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी द्वारा की गई शिकायत में मोहम्मद जुबैर पर धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने के साथ ही अन्य आरोप लगाए गए हैं। यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने तीन अक्टूबर 2024 को मुस्लिमों के बीच नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की।
शुरुआत में जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), 228 (झूठे साक्ष्य तैयार करना), 299 (धार्मिक भावनाएं भड़काने के इरादे से दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जुबैर ने रिट याचिका में अदालत से प्राथमिकी रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा दिए जाने का अनुरोध किया है। अपनी याचिका में जुबैर ने कहा कि उनके द्वारा 'एक्स' पर की गई पोस्ट नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा की वकालत नहीं करती, बल्कि इसने नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में पुलिस अधिकारियों को महज सचेत किया।
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