नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पिछले महीने पास हुए एक प्रस्ताव ने भारत की बेचैनी बढ़ा दी है। हालांकि भारत ने उस वक्त खुद भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। असल में इस प्रस्ताव में तालिबान को मानवता के आधार पर प्रतिबंधों से छूट देने की बात कही गई है। वहीं रूस और चीन तालिबान सरकार के साथ संबंधों में उदारवादी शर्तों की तरफ देख रहे हैं।
देता है तमाम सहूलियत
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रिजॉल्यूशन 2615, 22 दिसंबर को पास हुआ था। इससे तालिबान को अपनी धरती पर आतंकियों को बचाने के सवालों से बचने की सहूलियत मिलती है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साथ ही ह्यूमन राइट्स, जेंडर और माइनॉरिटी राइट्स समेत तमाम सवालों से वह बच सकता है। आधिकारिक सूत्र का कहना है कि प्रतिबंधों से छूट अफगानिस्तान के लिए अच्छा है। इससे वहां मानवाधिकार मदद भेजने में आसानी होगी। लेकिन जो परेशान करने वाली बात है वह ये कि इससे तालिबान को खुद को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। वहीं यह 2593 प्रस्ताव का भी मदद नहीं करने वाला है। यह प्रस्ताव 31 अगस्त को पास हुआ था।
सहायता का प्रावधान
गौरतलब है कि प्रस्ताव संख्या 2593 बिना तालिबान पर प्रतिबंधों का उल्लंघन किए अफगानिस्तान में मानवाधिकार मदद की इजाजत देता है। इसके जरिए अफगानिस्तान तमाम वित्तीय सहायताएं और अन्य मदद पहुंचाई जा सकती है। इसके साथ ही मदद पहुंचाने वाले प्रतिबंध सूची में मौजूद तालिबानियों इस मदद से अलग भी रख सकते हैं। इसमें एक पैराग्राफ है, जिसमें लिखा है कि सभी पक्ष, सभी तरह के हालात में सभी व्यक्तियों, महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वालों को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के तहत मदद पहुंचाएंगे।