हॉस्पिटल का कारनामा, बीमार बच्चे की जगह स्वस्थ बच्चे को किया रेफर, उसके बाद...
हालांकि, गंभीर हालत वाले बच्चे को अजमेर पहुंचाने और दूसरे नवजात को वापस लाने में 24 घंटे का वक्त लग गया
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां मातृ और शिशु वार्ड इंचार्ज डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने गंभीर बीमार बच्चे को रेफर करने की बजाय दूसरे नवजात को अजमेर भेज दिया. जिस बच्चे को इलाज की ज्यादा जरूरत थी, वह अस्पताल में ही रह गया. जब लापरवाही का पता चला तो डॉक्टरों ने अपनी गलती सुधारी.
हालांकि, गंभीर हालत वाले बच्चे को अजमेर पहुंचाने और दूसरे नवजात को वापस लाने में 24 घंटे का वक्त लग गया.
भीलवाड़ा के मीठा धामनिया गांव के रहने वाले भैरू सिंह ने बताया कि उनकी बहन को 13 जुलाई को बच्चा हुआ था. उसे 14 जुलाई को कुछ देर के लिए एनआईसीयू में रखा गया. हमारे पास के बेड पर एक और महिला और बच्चा था. बच्चे की हालत बिगड़ने के चलते डॉक्टरों ने उसे अजमेर के राजकीय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में रेफर करने का फैसला किया. लेकिन वार्ड में मौजूद ड्यूटी स्टाफ ने लापरवाही से मेरी बहन के बच्चे को अजमेर भेज दिया. जबकि जिस बच्चे की हालत गंभीर थी, उसे वहीं छोड़ दिया गया.
24 घंटे बाद लाया गया वापस
उन्होंने बताया कि जब डॉक्टरों को गलती का अहसास हुआ तो गंभीर स्थिति वाले बच्चें को भर्ती करवाकर मेरी बहन के बच्चे को वापस लेकर आया गया. लेकिन इस दौरान पूरे 24 घंटे लग गये. वहीं, भीलवाड़ा के राजकीय महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक और प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अरुण गोड ने कहा कि लापरवाही के चलते हुई इस गलती को सुधारा गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
बाद में सुधारी गई गलती
इससे पहले डॉ अरुण गोड ने अजमेर के राजकीय जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और कंट्रोलर को 14 जुलाई को पत्र लिखकर कहा था कि बेबी ऑफ रेहना की स्थिति गंभीर होने के चलते अजमेर रेफर करना था, लेकिन उसकी जगह बेबी ऑफ गेंदा को लेकर जननी एक्सप्रेस वाहन अजमेर चला गया था. इस गलती को सुधारने के लिए भीलवाड़ा से शिशु रोग विशेषज्ञ और सहायक आचार्य डॉ कुलदीप सिंह राजपूत कंपाउंडर दिनेश पांडे और अजरुदीन को इस पत्र के साथ अजमेर भेजा गया और गलती सुधारी गई.