सीएम शिवराज सिंह का बड़ा फैसला, अब कॉलेजों के छात्राओ को पढ़ाए जायेंगे रामचरितमानस
मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है।
मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने बीए फर्स्ट ईयर के कोर्स के लिए 'रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन' नाम से सिलेबस तैयार किया है। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कहा कि प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को कला संकाय में दर्शनशास्त्र के तहत वैकल्पिक विषय के रूप में महाकाव्य 'रामचरितमानस' की पेशकश की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम समिति की सिफारिश पर इसे शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक (बीए) के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में पेश किया गया है। यादव ने कहा कि रामचरितमानस में विज्ञान, संस्कृति, साहित्य और श्रृंगार है। यह किसी धर्म विशेष के बारे में नहीं है। हमने उर्दू गजल को भी एक विषय के रूप में पेश किया है। मंत्री ने कहा कि 60 घंटे तक चलने वाले इस ऐच्छिक पाठ्यक्रम से छात्रों में मानवीय दृष्टिकोण और संतुलित नेतृत्व क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी।
रामचरितमानस 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य है। उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षा नीति के संदर्भ में नया पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है, तो हम अपने गौरवशाली अतीत को भी सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। फिर चाहे वह हमारे शास्त्रों से संबंधित हो या हमारे महापुरुषों से। यादव ने दावा किया कि नासा के एक अध्ययन में यह साबित हो गया है कि राम सेतु लाखों साल पहले बनाया गया मानव निर्मित पुल था और बेयत द्वारका 5,000 साल पहले अस्तित्व में था। मंत्री ने कहा कि यह पाठ्यक्रम विद्वानों की सिफारिश पर लागू किया जा रहा है।
इस बीच, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। सबका साथ सबका विकास का नारा झूठा है। उन्होंने कहा कि यह नारा सच हो सकता है, अगर वे रामायण के साथ कुरान और बाइबिल को शामिल करते।