नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए गलत तबादलों को रद्द करने का सिलसिला जारी है. अब प्रांतीय चिकित्सा सेवा (PMS) संवर्ग के लेवल-2 और इससे ऊपर के 42 और डॉक्टरों के तबादले रद्द कर दिए गए हैं. इनमें से 17 ट्रांसफर बुधवार को और 25 तबादले गुरुवार को रद्द किए गए हैं. इन सभी डॉक्टरों का ट्रांसफर गलत तरीके से किया गया था. इसके बाद सभी डॉक्टर गलत ट्रांसफर का विरोध कर रहे थे. इस मामले में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने नाराजगी जताई थी.
शासन स्तर से गलत तरीके से किए गए तबादले को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से अब तक गलत तरीके से किए गए 90 डॉक्टरों के तबादले रद्द किए जा चुके हैं. इसके साथ ही आने वाले दिनों में और भी ट्रांसफरों में संशोधन किया जा सकता है.
इनमें जिन डॉक्टरों के तबादले रद्द किए गए हैं, उनमें से 7 डॉक्टर लखनऊ में तैनात हैं. वहीं 6 चिकित्सकों के तबादला आदेश में संशोधन कर उन्हें नए जिले में पदस्थापित किया गया है. उनके स्थानांतरण में वैवाहिक नीति, सेवानिवृत्ति में दो वर्ष से कम, विकलांग और गंभीर रूप से बीमार होने आदि के नियमों का पालन नहीं किया गया था. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए गलत तबादलों को रद्द करने के लिए डॉक्टर लंबे समय से इंतजार कर रहे थे.
जानकारी के मुताबकि जिस तरह से गड़बड़ी सामने आ रही है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि अभी और भी डॉक्टरों के तबादले रद्द किए जा सकते हैं.
वहीं, महानिदेशालय स्तर पर पूर्व डीजी स्वास्थ्य डॉ. वेदब्रत सिंह समेत 8 अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठा दी गई है. अब शासन स्तर पर गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई का इंतजार है. दरअसल, सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रवींद्र की ओर से तबादलों को रद्द करने और संशोधित करने के आदेश जारी किए गए हैं.
स्वास्थ्य महानिदेशालय ने लेवल टू और उससे ऊपर के 48 डॉक्टरों का तबादला कर दिया. जबकि वह केवल लेवल 1 के डॉक्टरों का ही तबादला कर सकते हैं. पिछले बुधवार को 17 डॉक्टरों का तबादला रद्द करने के बाद अब गुरुवार को गड़बड़ी उजागर होने के बाद 25 डॉक्टरों का तबादला रद्द कर दिया गया.
नियमों के मुताबिक देखा जाए तो संबंधित मंत्री पॉलिसी के आधार पर ट्रांसफर प्रक्रिया के लिए संबंधित व्यक्ति को निर्देशित करता है. ट्रांसफर करने के लिए पहले ही मंत्री का अनुमोदन ले लिया जाता है और हर एक ट्रांसफर मंत्री की नजर में नहीं होता. केवल वही ट्रांसफर, जिसमें किसी प्रार्थी ने अपने निजी या प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर करने या रद्द करने की अर्जी दी हो, उस पर मंत्री सचिव को निर्देशित करने का अधिकार रखता है.