अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा दावा: बिजली सप्लाई ठप के पीछे था चीन का हाथ, किया था साइबर अटैक, भारत के खिलाफ बड़ी साजिश?

Update: 2021-03-01 11:14 GMT

पिछले साल मुंबई में गंभीर पावर आउटेज हुआ था. इसके बारे में कहा गया था कि ये पावर आउटेज दशकों का सबसे खराब पावर आउटेज था.

मुंबई में हुए इस पावर आउटेज को तब भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद से भी जोड़ा गया था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये चीनी हैकर्स की तरफ से भारत पर किया गया साइबर अटैक था. बताया जा रहा है कि ये साइबर अटैक भारत को चेतावनी देने के लिए चीन की ओर से किया गया था.
मुंबई में पिछले साल हुए पावर फेल पर न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये चीन की ओर से साइबर अटैक था. जब बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिक उलझे थे तो भारत के इलेक्ट्रिक सप्लाई के कंट्रोल सिस्टम में एक मैलेवेयर को डाल दिया गया. इससे मुंबई की पावर सप्लाई ठप पड़ गई थी.
पिछले साल नवंबर में इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि महाराष्ट्र साइबर डिपार्टमेंट ने अंदेशा जताया था कि पावर आउटेज के पीछे मैलेवेयर अटैक हो सकता है. पावर आउटेज का मुख्य कारण थाने जिले के पडघा के डिस्पैच सेंटर के पास ट्रिपिंग हो गई थी.
इसकी वजह से पिछले साल 12 अक्टूबर को मुंबई में कई घंटों का पावर आउटेज देखने को मिला था. सुबह 10 बजे से शुरू हुए इस समस्या को दोपहर तक ठीक किया गया था.
NYT की रिपोर्ट में कहा गया है कि मैलवेयर ट्रेसिंग रिकॉर्डेड फ्यूचर कंपनी ने किया है. ये एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है. इसकी स्थापना 2009 में सोमरविल, मैसाचुसेट्स में की गई थी.
कंपनी का दावा है कि सभी मैलेवेयर ऐक्टिव नहीं थे. इसका मतलब है कि मैलेवेयर का एक छोटा प्रोपोर्शन मुंबई में पावर आउटेज का कारण बना.
इसके लिए कंपनी ने RedEcho को जिम्मेदार बताया है. RedEcho चीनी स्टेट स्पॉन्सर्ड ग्रुप है. कंपनी ने आगे कहा कि सिक्योरिटी रिस्ट्रिक्शन की वजह से वो कोड की जांच खुद नहीं कर सकी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि इसकी जानकारी सिक्योरिटी कंपनी ने भारत को दे दी है.
हालांकि इस साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने ये भी कहा है कि फिलहाल इस बात को पुख्ता सबूत नहीं हैं कि मुंबई का पावर आउटेज मौजूदा हैकर ग्रुप की वजह से ही हुआ था. इस फर्म ने कहा है कि अपनी फाइंडिंग्स CERT को भेज दिया है जो मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के अंदर आती है.
गौरतलब है कि चीनी हैकर्स को पहले से इस तरह के साइबर अटैक्स के लिए जाना जाता है. लेकिन अभी ये कह पाना मुश्किल है कि ये साइबर अटैक किस तरह का था. यानी स्टेट स्पॉन्सर्ड साइबर अटैक था या फिर ये किसी हैकर ग्रुप द्वारा किया गया साइबर अटैक था. 
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