कर्नाटक केबिनेट में हुआ बड़ा बदलाव, विभागों का फिर से हुआ बंटवारा

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Update: 2023-05-31 15:55 GMT
कर्नाटक। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कैबिनेट में कुछ विभागों का फिर से बंटवारा हुआ है। इस फैसले के अनुसार, सीएम अब वित्त, कैबिनेट मामले, कार्मिक विभाग व प्रशासनिक सुधार, इंटेलिजेंस, इंफार्मेशन और सभी गैर-आवंटित विभागों को संभालेंगे। वहीं, एमबी पाटिल को बड़े व मध्यम उद्योग और बुनियादी ढांचा विकास का प्रभार सौंपा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे के पास ग्रामीण विकास व पंचायत राज, आईटी और बीटी डिपार्टमेंट होगा। बता दें कि इससे पहले आईटी व बीटी और बुनियादी ढांचा विकास विभाग भी मुख्यमंत्री के पास था। प्रियंक खरगे को ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय ही मिला था। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार सहित 10 मंत्रियों ने 20 मई को शपथ ली थी। इसके बाद 24 और मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। कर्नाटक सरकार की ओर से इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी हुआ। इसके अनुसार, जी. परमेश्वर को गृह विभाग, एम. बी. पाटिल को बड़े व मध्यम उद्योग विभाग और के.जे. जॉर्ज को ऊर्जा विभाग दिया गया। उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को सिंचाई, बेंगलुरु शहर विकास सहित बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी), बैंगलोर विकास प्राधिकरण, बैंगलोर जल आपूर्ति, सीवरेज बोर्ड, बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण और बैंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड विभाग मिले।
एच. के. पाटिल को कानून व संसदीय मामले, विधान व पर्यटन विभाग दिया गया। के.एच. मुनियप्पा को खाद्य व नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों का मंत्री बनाया गया है। शिवानंद पाटिल को कपड़ा व गन्ना विकास आदि की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मधु बंगारप्पा प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग संभालेंगे। एम. सी. सुधाकर उच्च शिक्षा विभाग और एन.एस. बोसेराजू को लघु सिंचाई, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग सौंपा गया है। मालूम हो कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस को 135 सीट मिलीं, जबकि भाजपा और जनता दल सेक्युलर ने क्रमशः 66 और 19 सीट पर जीत हासिल की।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने लोगों से 5 गारंटियों को लागू करने का वादा किया था। इसे लेकर प्रियंक खरगे ने बुधवार को कहा कि इन्हें लागू करने के लिए मानदंड और रूपरेखा तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि गारंटियों को लागू करने के लिए मानदंड तय करना होगा, क्योंकि यह करदाताओं के पैसों से जुड़ा हुआ है। खरगे ने कहा, 'हर योजना एक कसौटी पर आधारित होती है, इसके कार्यान्वयन में आपका (जनता का) पैसा, करदाताओं का पैसा खर्च होता है। हमें मानदंड तय करना होगा। बताइए कि केंद्र की मोदी सरकार की कौन सी योजना मुफ्त है?'
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