नई दिल्ली: पाकिस्तान ने कराची स्थित दहशतगर्दी के कुख्यात ट्रेनिंग सेंटर थट्टा कैंप (Thatta) को फिर से एक्टिवेट कर दिया है. दिल्ली पुलिस ने जिस जिशान और ओसामा को गिरफ़्तार किया है, उन्हें इसी थट्टा में ट्रेनिंग मिली थी. थट्टा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि यह वही जगह है जहां 26/11 को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को ट्रेनिंग दी गई थी.
ओसामा और जिशान ने पूछताछ में खुलासा किया है और स्वीकार किया है कि दोनों को पाक आर्मी के अफसरों ने कराची के पास थट्टा इलाके में ट्रेनिंग दी थी. इस सनसनीखेज खुलासे के साथ पाकिस्तान का आतंकी प्लान एक बार फिर दुनिया के सामने बेपर्दा हो गया है.
बता दें कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कराची में स्थित थट्टा में ही आतंक का वो स्कूल है जहां मुंबई के 26/11 हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब को पाकिस्तान आर्मी के अफसरों ने तबाही और दहशतगर्दी की ट्रेनिंग दी थी.
अजमल कसाब समेत अन्य पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 नवबंर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में भयानक आतंकी घटना को अंजाम दिया था. पाकिस्तान प्रायोजित इस हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे. मुंबई पुलिस ने पाकिस्तान के 9 आतंकियों को मार गिराया था जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था. बाद में उसे फांसी दी गई थी.
आतंकी ओसामा और जिशान से पूछताछ से पता चलता है कि आंतरिक हलचलों से बौखलाया पाकिस्तान भारत में फिर से बड़ी कार्रवाई को देने की घटिया साजिश रच रहा है.
बता दें कि पाकिस्तान आर्मी और ISI का एक सेफ हाउस थट्टा इलाके में है. यहीं पर 26/11 के आतंकी कसाब समेत कुछ और आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी. आतंकी ओसामा और जिशान ने पूछताछ में बताया है कि इसी ट्रेनिंग कैंप में जिशान और ओसामा को पाकिस्तान आर्मी के अफसरों ने IED बनाने की ट्रेनिंग दी. इन्हें 15 दिनों तक थट्टा इलाके में एक फार्म हाउस में जो कि वास्तव में में ISI का सेफ हाउस है, वहां दशहतगर्दी की ट्रेनिंग दी गई.
इसी इलाक़े में ISI ने बड़ा ट्रेनिंग बनाया हुआ है. इस कैम्प में जिशान और ओसामा के अलावा कई दूसरे और भारत से फरार आतंकियों को पहले भी ट्रेनिंग दी जा चुकी है. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि थट्टा जैश आतंकियों के लिए नर्सरी का काम करता है, यहीं पर उन्हें कम उम्र में लाकर दहशतगर्दी की ट्रेनिंग दी जाती है.
भारत की जांच एजेंसियों के मुताबिक, पहले भारत से पाकिस्तान ट्रेनिंग लेने के लिए जाने वालों को दुबई बुलाया जाता था. इसके बाद इन्हें किसी ऐसी इंटरनेशनल फ़्लाइट पर बैठाया जाता था जो पाकिस्तान होकर जाती थी. जैसे ही फ़्लाइट पाकिस्तान पहुंच जाती थी ISI के कारिंदे ट्रेनिंग लेने पहुंचे आतंकी को बीच में ही उतार लेते थे.
इसके बाद इन्हें थट्टा में ट्रेनिंग दी जाती थी. बाद में इन आतंकियों को उसी फ्लाइट पर दुबई के लिए बैठा दिया जाता था. इस बीच ISI इनके पासपोर्ट पर किसी दूसरे देश की नकली मुहर मार देती थी, इससे ऐसा प्रतीत होता था कि ये पाकिस्तान न जाकर कोई अन्य देश गए हैं. ताकि बाद में जब ये भारत आएं तो भारतीय एजेंसियों को इनके पाकिस्तान जाने की खबर ही न हो.
भारतीय एजेंसियों ने ISI की ये नापाक चाल पकड़ ली थी. इसलिए ISI ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए रूट बदल दिया और ओसामा और जिशान को ओमान के रास्ते अलग-अलग बोट के जरिए पाकिस्तान पहुंचाया गया और फिर ट्रेनिंग दी गई. ISI ने ये रूट इसलिए बदला है क्योंकि आतंकी कैम्प चलाने की पाकिस्तान की साजिश विश्व के सामने बेपर्दा न हो जाए.