BIG BREAKING: PM मोदी सिक्योरिटी लैप्स मामला, डीजीपी पर हो सकती है कार्यवाही!

Update: 2022-01-07 12:18 GMT

नई दिल्ली नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सुरक्षा में गंभीर चूक मामले में अब पंजाब पुलिस (Punjab Police) और उसके प्रमुख डीजीपी (DGP) सवालों के घेरे में हैं. ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र डीजीपी पर कार्रवाई कर सकता है. राज्‍य सरकार ने जहां जांच कमेटी बनाई है तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन सदस्‍यीय जांच समिति बना दी है. बुधवार को पीएम मोदी काफिला हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक से 30 किमी दूर फ्लायओवर पर फंस गया था. उस दौरान पीएम मोदी का फिरोजपुर कार्यक्रम रद्द किया गया था, जिसके तहत वे 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का शिलान्यास करने जा रहे थे. फ्लाईओवर के एक ओर किसान प्रदर्शनकारी रास्ता रोककर खड़े थे. 20 मिनट तक पीएम मोदी फ्लाईओवर पर ही रहे. उसके बाद रैली रद्द कर बठिंडा एयरपोर्ट लौट आए.

यह घटनाक्रम ऐसा था कि देश भर में व्‍यापक प्रतिक्रिया हुई और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे पीएम की सुरक्षा में गंभीर चूक बताया. पंजाब के मुख्‍यमंत्री ने भी प्रतिक्रियाएं आने के बाद जांच समिति बनाई और कहा कि सुरक्षा में चूक जैसा कुछ नहीं था, चूंकि प्रधानमंत्री मोदी पहले हेलिकॉप्टर से आने वाले थे लेकिन ऐन वक्त में सड़क से आए, इसलिए ये घटना हुई. इस मामले में सबसे ज्‍यादा सवाल पंजाब के डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (DGP Siddhartha Chattopadhyay) पर सवाल उठ रहे हैं.
केंद्र, पंजाब के जिम्‍मेदार अधिकारियों के खिलाफ एसपीजी एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, इसके चलते जिम्मेदार अधिकारियों को दिल्ली तलब भी किया जा सकता है या उनके खिलाफ केंद्रीय स्तर की जांच शुरू हो सकती है. पीएम की गतिविधियों के दौरान एसपीजी को सभी सहायता प्रदान करने के लिए एसपीजी एक्ट की धारा 14 के तहत राज्य सरकार जिम्मेदार है. हालांकि, मामले की जांच के लिए पंजाब सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया था.
ऐसे हैं पांच सवाल, जिन पर घिर गई है पंजाब पुलिस
प्रोटोकॉल के तहत राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव दोनों को प्रधानमंत्री के काफिले के साथ रहना जरूरी है. खबर है कि ये दोनों उस वक्‍त प्रधानमंत्री के काफिले के साथ नहीं थे. आखिर प्रोटोकॉल का पालन क्‍यों नहीं हुआ?
गृह मंत्रालय ने बताया है कि डीजीपी की ओर से रूट क्लियर होने का का ग्रीन सिग्नल मिला था, उसके बाद ही प्रधानमंत्री सड़क के रास्ते रवाना हुए थे. लेकिन आगे सड़क को प्रदर्शनकारियों ने जाम कर रखा था. आखिर डीजीपी ने गलत जानकारी क्‍यों और कैसे दी?
प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले पूरा प्लान तैयार हो जाता है. हर जगह से पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटीन्जेंसी प्लान भी होता है. एक वैकल्पिक रास्ता भी तय होता है. लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं था. पंजाब पुलिस ने आखिर ऐसा क्‍यों किया?
अगर प्रदर्शनकारियों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया था तो उन्हें हटाया क्यों नहीं क्यों नहीं गया? पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसा था. इतनी देर में अतिरिक्त फोर्स क्यों नहीं बुलाई गई? पंजाब पुलिस का रवैया आखिर ऐसा कैसे हो सकता है?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने ये भी कहा कि पुलिसवाले खुद प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रहे थे. क्‍या पंजाब पुलिस ही सुरक्षा में चूक की जिम्‍मेदार है?
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