चंडीगढ़: सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में लारेंस बिश्नोई की याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. लॉरेंस को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया कि लॉरेंस का नाम FIR में नहीं है इसलिए यह प्रीमेच्योर पिटीशन है.
इस मामले में मीडिया से बात करते हुए पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की कोर्ट में हुई. कोर्ट में दोनों से बहस हुई. हमने इस मामले में कहा कि बिश्नोई ने पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले में याचिका लगाई थी, और फिर उन्होंने वहां से अपनी वह याचिका वापस ले ली, जिसके बाद उन्होंने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगा दी.
उन्होंने कहा कि हमारी इन्वेस्टिगेशन अभी तक चल रही है और उसमें अभी तक किसी का भी नाम नहीं आया है. इसके साथ ही वे अभी दिल्ली पुलिस की कस्टडी में 5 जून तक है. ऐसे में जज ने कहा कि अभी यह प्रीमेच्योर और सुनवाई के लायक नही है. इसलिए इस को खारिज कर दिया जाता है.
लारेंस बिश्नोई ने बुधवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. पहले उसने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी जिसे कल वापस ले लिया. बिश्नोई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा था कि पंजाब पुलिस से उसको खतरा है कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर सकती है. उसने कोर्ट से आवश्यक सुरक्षा देने का अनुरोध किया था.
इस मामले में कनाडा में बैठे गोल्डी बरार के लिए पंजाब पुलिस सेंट्रल एजेंसी की मदद ले रही है. हाल ही में दाखिल याचिका में कहा गया था कि लॉरेंस की कस्टडी पंजाब या फिर दूसरे राज्य की पुलिस को नहीं दी जाए. लेकिन, बिश्नोई ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपनी वह याचिका वापस ले ली जिसमें उसने पंजाब पुलिस द्वारा 'फर्जी मुठभेड़' की आशंका के चलते आवश्यक सुरक्षा देने का अनुरोध किया था.
शुरुआत में उसके वकील ने न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा से कहा कि बिश्नोई याचिका वापस लेना चाहता है और इसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर करना चाहता है. अदालत ने कहा, 'याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है.'