बड़ा झटका: फर्जी मुठभेड़ करने के आरोपी पुलिसवालों को हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया मना
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में हुए 10 सिखों के एनकाउंटर के मामले में दोषी करार दिए 34 पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 1991 में 10 सिखों के एनकाउंटर मामले में दोषी पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका खरिज कर दी. इस मामले में अंतिम सुनवाई 25 जुलाई को होनी है.
जानकारी के मुताबिक 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत से एक बस में सिख धर्म के लोग तीर्थयात्रा के लिए जा रहे थे. इनमें बच्चे और महिलाएं भी थीं. आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बस को रुकवाकर उसमें से 11 लोगों को उतार लिया था. आरोप के मुताबिक 10 लोगों की हत्याकर पुलिसकर्मियों ने उसे एनकाउंटर दिखा दिया गया. 11 वें शख्स को लेकर ये कहा गया कि वह बच्चा था. बच्चे का भी अब तक कोई पता नहीं चल सका है. ये घटना पीलीभीत जिले के पास न्यूरिया बिलसंडा और पूरनपुर थाना क्षेत्र की है.
बताया जाता है कि पुलिस ने इस मामले की जांच कर फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से कराने के आदेश दिए. सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और 57 लोगों को आरोपी बनाया था. जांच के दौरान 10 आरोपियों की मौत हो गई थी. सीबीआई जांच के बाद लखनऊ में विशेष अदालत ने 4 अप्रैल 2016 को 45 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था. लखनऊ की विशेष अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
दोषी करार दिए गए आरोपियों ने विशेष न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अलग-अलग अपील दाखिल की है. दोषियों ने विशेष न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के साथ ही जमानत अर्जी भी दाखिल की है. अपील करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों की तरफ से दलील दी गई कि मारे गए 10 लोगों में से बलजीत सिंह उर्फ पप्पू जसवंत सिंह उर्फ बिल्जी, हरविंदर सिंह उर्फ मिंटा और सुरजन सिंह उर्फ बिट्टू खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के आतंकी थे. उनके खिलाफ हत्या, डकैती, अपहरण और पुलिस पर हमले जैसे जघन्य अपराध के मामले दर्ज थे.