नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के खरगोन (khargone violence) में रामनवमी जुलूस पर हुए पथराव के बाद मध्य प्रदेश प्रशासन ने जो बुलडोजर वाला एक्शन लिया उसके लिए राज्य सरकार घिरी हुई है. इस बीच यह भी सामने आया है कि सोमवार को खरगोन में जिन घरों को अवैध निर्माण बताकर गिराया गया, उसमें एक घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना था.
बता दें कि खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान पथराव हुआ था. जिसमें एसपी सिद्धार्थ चौधरी समेत करीब दो दर्जन लोग घायल हुए थे. मामले में एक्शन लेते हुए एमपी प्रशासन ने यूपी की तरह बुलडोजर वाली कार्रवाई की थी और कई घरों-दुकानों को गिराया था. इनको पथराव करने वाले आरोपियों से संबंधित बताया गया था.
खरगोन में रविवार को हिंसा हुई थी. इसके बाद जिला प्रशासन ने खरगोन के चार इलाकों में 16 घर और 29 दुकानों को अवैध कब्जा बताकर तोड़ दिया. इसमें से 12 घर खसखासवाडी (Khaskhaswadi) इलाके में थे. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जिन घरों को तोड़ा गया उसमें बिरला मार्ग पर पीएम आवास स्कीम के तहत बना हसीना फखरू का घर भी शामिल था.
खबर के मुताबिक, 60 साल की हसीना ने रोते हुए बताया कि सोमवार सुबह निगम के लोग बुलडोजर के साथ वहां आए. धक्का देकर हसीना को घर से निकाला और जहां 'पीएम आवास के तहत बना घर' लिखा था वहां गोबर पोत दिया और फिर घर को कुछ ही मिनटों में बुलडोजर से गिरा दिया. हसीना के बेटे अमजद जो कि मजदूरी का काम करते हैं, उनका दावा है कि परिवार जिसमें कुल सात लोग हैं वे करीब 30 साल से वहां रह रहे थे.
अमजद ने कहा कि 2020 तक उनका घर कच्चा था. फिर आवास योजना के तहत उनको सरकार से 2.5 लाख रुपये मिले. फिर एक लाख रुपये खुद से जोड़कर उन्होंने घर को पक्का बनवाया था. हसीना का परिवार दावा करता है कि उनका घर अवैध नहीं था क्योंकि उनके पास प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद, तहसीलदार का पत्र, पीएम आवास के तहत घर मिलने पर सीएम शिवराज का बधाई पत्र, सब कुछ है.
अब हसीना के घर को गिराए जाने की टाइमिंग पर सवाल उठ रहा है. यह बात साफ नहीं हुई है कि इस घर को खरगोन हिंसा के आरोपियों के बताए जा रहे मकानों के साथ क्यों गिराया गया क्योंकि हसीना के परिवार को सात अप्रैल (गुरुवार) को मतलब हिंसा से तीन दिन पहले नोटिस मिला था. इसमें घर के मालिकाना हक वाले कागजात मांगे गए थे और लिखा था कि तीन दिन के अंदर कागज जमा करें वरना घर गिरा दिया जाएगा.
खबर के मुताबिक, अमजद कहते हैं कि मैं शुक्रवार को सभी कागजात लेकर जिला कोर्ट पहुंचा था. उसी हिसाब से सर्टिफिकेट भी तैयार किया गया लेकिन अगले दिन शनिवार-रविवार था जिसकी वजह से कागज जमा नहीं हो सके. फिर सोमवार को ही निगम के लोग बुलडोजर के साथ पहुंच गए.
हालांकि, जिला कलेक्टर की तरफ से मामले को नया मोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि हसीना के परिवार को दूसरी जगह पर घर बनाने के लिए पैसा दिया गया था. लेकिन उन्होंने सरकारी जमीन पर घर का निर्माण किया, जिसकी कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है. इसलिए सरकारी जमीन से कब्जा खाली कराया गया.
लेकिन जब उनसे पूछा गया कि जब नोटिस तीन दिन पहले निकला. मतलब हिंसक झड़प से इसका कोई लेना-देना नहीं था तो फिर इसे हिंसा के तुरंत बाद क्यों गिराया गया? तो वह बोले कि Khaskhaswadi दंगे वाले मुख्य इलाकों में शामिल था. और बाकी चीजें चार्जशीट में सामने आएंगी.
जिला कलेक्टर के आरोपों पर अमजद ने भी सफाई दी. वह बोले कि उन्होंने उसी घर के लिए अप्लाई किया था और इसी को बनाने के लिए पीएम आवास के तहत पैसा मिला था. वह बोले कि हम अपने जीवन भर की कमाई ऐसे घर को बनाने में क्यों लगाएंगे जो कब्जे वाली बताई जाए.
रविवार को खरगोन में करीब 10 घरों को फूंक डाला गया था. वहीं एसपी सिद्धार्थ समेत दो दर्जन लोग घायल हुए थे. इस मामले में अबतक 27 FIR दर्ज हो चुकी हैं और दोनों पक्षों के 89 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. राज्य सरकार ने कहा है कि नुकसान की भरपाई दंगाइयों से ही की जाएगी.
हिंसा की शुरुआत तलब चौक मस्जिद के पास से हुई थी. राम नवमी जुलूस की व्यवस्था करनेवाले मनोज रघुवंशी ने आरोप लगाया था कि जुलूस को मस्जिद से कुछ मीटर दूर बैरिकेड लगाकर रोक दिया गया था. जबकि हर साल वहीं से जुलूस निकलता था और मुस्लिम लोगों की तरफ से भी कोई आपत्ति नहीं जताई जाती थी. लेकिन जब इस बार बैरिकेड लगे देखे गए तो बीजेपी नेताओं और पुलिस के बीच बहस हो गई.
दूसरी तरफ पुलिस का कहना है कि जुलूस को निकालने के लिए दोपहर में 2-3 बजे का टाइम दिया गया था. लेकिन इसको मस्जिद तक पहुंचते-पहुंचते 5 बज गए. यह मस्जिद में नमाज का वक्त था. फिर दोनों तरफ हजारों की संख्या में भीड़ थी और थोड़ी ही देर में माहौल गर्म हो गया और पत्थरबाजी शुरू हो गई. इसके बाद कुछ अन्य इलाकों में भी पत्थरबाजी हुई और हिंदू-मुसलमान दोनों के ही घरों को आग लगाई गई