भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने अपने इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज़ के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को फेस 3 क्लीनिकल ट्रायल आवेदन दिया है जो कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकाकरण वाले लोगों को दिया जा सकता है. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. इंट्रानैसल टीका (Nasal vaccine) नाक में दिया जाने वाला टीका है जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune Response) पैदा कर वायरस को शरीर के अंदर प्रवेश करने से रोकता है.
भारत बायोटेक ने दलील दी है कि इंट्रानैजल वैक्सीन को बूस्टर डोस के तौर पर दिया जा सकता है. साथ ही साथ ट्रांसलेशन रोकने में असरदार है. उसने दावा किया है कि इंटरनेशल वैक्सीन कोरोना के ट्रांसमिशन को रोकने में कामयाब है. पिछले महीने भारत बायोटेक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने नाक से दिए जाने वाले टीके (नैसल वैक्सीन) के महत्व पर भी जोर दिया था. इसके महत्व के बारे में उन्होंने कहा था कि पूरा विश्व ऐसे टीके चाहता है संक्रमण रोकने का यही एकमात्र तरीका है. हर कोई 'इम्यूनोलॉजी' (प्रतिरक्षा विज्ञान) का पता लगाने की कोशिश कर रहा है और सौभाग्य से, भारत बायोटेक ने इसका पता लगा लिया है.
उन्होंने बताया था, 'हम नाक से देने वाला टीका ला रहे हैं… हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या कोवैक्सिन की दूसरी खुराक को नाक से दिया जा सकता है, यह रणनीतिक रूप से, वैज्ञानिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दूसरी खुराक को यदि आप नाक से देते हैं तो आप संक्रमण को फैलने से रोकते हैं.' जैवप्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने इस साल अगस्त में बताया था कि 18 साल से 60 साल के आयुवर्ग के समूह में पहले चरण का क्लिनिकल परीक्षण पूरा हो चुका है. इसके बाद भारत बायोटेक के इन्ट्रानैसल टीका पहला नेजल टीका है जिसे दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए नियामक की मंजूरी मिल गई है. यह इस तरह का पहला कोविड-19 टीका है जिसका भारत में मनुष्य पर क्लिनिकल परीक्षण हो रहा है.
यह टीका बीबीवी154 है जिसकी प्रौद्योगिकी भारत बायोटेक ने सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी. डीबीटी ने कहा था, 'कंपनी ने जानकारी दी है कि पहले चरण के क्लिनिकल परीक्षण में स्वस्थ प्रतिभागियों को लगाई गयी टीके की खुराकों को शरीर द्वारा अच्छी तरह स्वीकार किया गया है. किसी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी नहीं है.' क्लिनिकल पूर्व अध्ययनों में भी टीका सुरक्षित पाया गया था. पशुओं पर हुए अध्ययन में टीका एंटीबॉडी का उच्च स्तर बनाने में सफल रहा.