तिरुवनंतपुरम् (आईएएनएस)| राज्य के राजधानी जिले के उपनगरीय शहर वेल्लानाडू में एक कुएं में गिरे भालू को बचाने के लिए बनी वन विभाग, पुलिस और पशु चिकित्सकों की एक टीम की कथित लापरवाही से भालू की मौत के एक दिन बाद राज्य सरकार ने शुक्रवार को अभियान में हुई चूक पर रिपोर्ट मांगी है। राज्य के वन मंत्री ए.के. शशिंद्रन ने अपने विभाग से दो दिन में रिपोर्ट तलब की है। इसमें कहा गया है कि बचाव अभियान के दौरान जो कुछ भी हुआ उसकी जानकारी दी जाए।
मामले के जानकार सूत्रों के मुताबिक, बचाव कार्य की आलोचना हो रही है और कुछ वन्यजीव कार्यकर्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए भी तैयार हैं। इन सब के बीच वन मंत्री ने जांच की घोषणा की है।
घटना बुधवार-गुरुवार मध्यरात्रि के आसपास वेल्लानाडू में अरविंद के घर में हुई। बताया जा रहा है कि भालू मुर्गियों की तलाश में आया था और कुएं में गिर गया। लेकिन, लोगों को आश्चर्य इस बात पर है कि भालू वेल्लानाडु कैसे पहुंचा, जो वन क्षेत्र से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में जंगली सूअर भी कभी-कभार दिख जाते हैं।
भालू को कुएं के रिंग पर लटका हुआ देखा गया था और तब तक वह किसी तरह डूबने से बचा हुआ था। लेकिन, बचाव अभियान के दौरान स्थानीय पशु चिकित्सक द्वारा बेहोशी का इंजेक्शन दागने के बाद मामला बिगड़ गया।
इंजेक्शन लगने के पांच मिनट बाद भालू बेहोश होकर कुएं में डूब गया। तुरंत तीन लोग कुएं में उतरे, लेकिन उसे नहीं उठा सके और उन्हें बाहर आना पड़ा। इसके बाद अधिकारियों ने कुएं में पानी का स्तर कम करने के लिए पंपों का इस्तेमाल किया और सुबह 10.15 बजे तक फायर ब्रिगेड के अधिकारियों ने नीचे जाकर भालू को जाल में डालकर बाहर निकाला।
बचाव के प्रयासों में समन्वय की कमी दिखाई दी। स्थानीय वन अधिकारी सुबह करीब 6.30 बजे मौके पर पहुंचे।
सुबह 8.55 बजे तक तिरुवनंतपुरम चिड़ियाघर के पशुचिकित्सकको बेहोशी का पहला इंजेक्शन दागने के लिए कहा गया, लेकिन वह भालू को लगा नहीं। सुबह 9.20 बजे दूसरा इंजेक्शन दागा गया जो निशाने पर लगा और पांच मिनट बाद भालू बेहोश होकर कुएं में डूब गया।
सुबह 9.35 बजे तीन लोग कुएं में उतरे, लेकिन कुछ ही मिनटों में वे वापस आ गए। इसके बाद पंपों का इस्तेमाल कर 10 बजे तक पानी निकाल दिया गया।
सुबह 10.15 बजे दमकल विभाग के कर्मचारी कुएं में गए और बेहोश पड़े भालू को प्लास्टिक की जाली में डालकर बाहर निकाला।
तमाम कोशिशों के बावजूद भालू ने दम तोड़ दिया था।
स्थानीय टीवी चैनलों ने पूरे बचाव कार्य का सीधा प्रसारण करने के साथ बचाव के लिए अपनाई गई त्रुटिपूर्ण रणनीति पर दु:खद आश्चर्य भी जताया क्योंकि बेहोशी का इंजेक्शन दागने से पहले कुएं में पानी की गहराई का पता लगाया जाना चाहिए था। पानी निकालने के लिए पंप का काफी देर से इस्तेमाल किया गया। तब तक भालू कुएं में डूब गया था।