भयानक ट्रेन हादसा: मृतकों के दांत और जबड़े का लिया सैंपल, की गई डीएनए प्रोफाइलिंग
यह जानकारी अस्पताल में फोरेंसिक ओडोंटलॉजी के विषय पर आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने दी।
नई दिल्ली: क्षत-विक्षत शव से लेकर हादसों में मरने वालों की पहचान और आपराधिक मामलों में दांत, जबड़े और दांत काटने के निशान व्यक्ति की पहचान में मददगार साबित हो रहे हैं। यह जानकारी शनिवार को सफदरजंग अस्पताल में फोरेंसिक ओडोंटलॉजी के विषय पर आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने दी।
इस सम्मेलन में देशभर के 35 मेडिकल और डेंटल कॉलेज के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिसमें फोरेंसिक साइंस विभाग और फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी विभाग के डॉक्टर शामिल हुए। सम्मेलन में फोरेंसिक जांच में दांत व जबड़े के महत्व और फोरेंसिक जांच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी को लेकर चर्चा की गई।
इस सम्मेलन का आयोजन सफदरजंग अस्पताल, एम्स और मौलाना आजाद दंत विज्ञान संस्थान के सहयोग से किया गया। जिसमें वक्ताओं ने बताया कि कई बड़ी घटनाओं में दांत व जबड़े के डीएनए से हादसा पीड़ितों व आरोपियों की पहचान कर साक्ष्य जुटाने में सहयोग मिला है। सम्मेलन के अध्यक्ष और सफदरजंग अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ.सर्वेश टंडन ने बताया कि अभी तक दोनों विभाग अलग-अलग काम कर रहे हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य दोनों विभागों को एक मंच पर लाकर एक साथ काम को बढ़ावा देना है। इससे पुलिस को आपराधिक मामलों और आरोपियों की पहचान में मदद मिलेगी। आपदाओं में फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी बहुत मददगार साबित होती है।
आयोजन समिति की सचिव डॉ. दीपिका मिश्रा ने कहा कि दांत फिंगर प्रिंट की तरह होता है, जिसकी संरचना किसी दूसरे व्यक्ति के दांत से नहीं मिल सकती है। एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. चितरंजन बेहराने ने बताया कि ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे में शवों को पहचाने में दिक्कत आने पर बालासोर ट्रेन हादसे के 81 मृतकों के दांत और जबड़े के सैंपल लेकर डीएनए प्रोफाइलिंग की गई थी।