POCSO एक्ट के आरोपी मुर्गी विक्रेता को जमानत, हाईकोर्ट ने कहा- बगैर यौन इच्छा के गाल छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं
बैगर यौन इच्छाओं के गाल छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है. एक आरोपी को जमानत देते हुए यह बात बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) की तरफ से कही गई है. आरोपी पर POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज है, जिसपर चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. शख्स ने अब जमानत की अर्जी लगाई थी, जिसपर बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार शिंदे ने सुनवाई की. कोर्ट की तरफ से शख्स को जमानत भी दे दी गई. शख्स 20 जुलाई 2020 से कस्टडी में था.
आरोपी की उम्र 46 साल है, वह चिकन की दुकान चलाता है. जिस लड़की से जुड़ा आरोप है, उसकी तब उम्र 8 साल थी. बच्ची की मां ने ही ठाणे जिले के रबोडी थाने में FIR दर्ज कराई थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस शिंदे ने कहा कि मामले की अबतक की जांच यह इशारा नहीं करती कि याचिकाकर्ता (आरोपी) ने यौन इच्छा के इरादे से लड़की के गालों को छुआ था.
चिकन शॉप के मालिक पर आरोप थे कि उसने दुकान के बाहर खेलती बच्ची को इशारा करके अंदर बुलाया था. फिर बच्ची के अंदर जाने पर उसने शटर बंद कर दिया था. अपने घर से यह सब देख रही महिला फटाफट नीचे आई थी. उसने ही शटर उठाया और देखा कि शख्स अपने कपड़े उतार रहा था. बच्ची ने पुलिस को बताया था कि शख्स ने उसने गाल पर किस किया है.
दूसरी तरफ आरोपी की तरफ से पेश हुए वकील रामप्रसाद ने कहा कि असल में मामला बिजनेस की दुश्मनी का है. मामले में जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट भी दाखिल हो गई है. हालांकि, जस्टिस शिंदे ने यह साफ किया कि उनकी टिप्पणी सिर्फ बेल देने के मामले तक सीमित है. इसका असर ट्रायल या अन्य कार्यवाही पर नहीं होगा.
सुनवाई के दौरान जज ने POCSO एक्ट के सेक्शन 7 का जिक्र किया. इसके अनुसार सेक्स के इरादे से बच्चे के प्राइवेट पार्ट को छूना, या उससे अपना प्राइवेट पार्ट स्पर्श करवाना (चाहे शारीरिक संबंध ना बने हों लेकिन शारीरिक संपर्क हुआ हो) इसे सेक्सुअल असॉल्ट माना जाता है.