बचपन बचाओ आंदोलन और राजस्थान सरकार मिलकर बनाएंगे प्रदेश को बाल श्रम मुक्त
राजस्थान. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने राजस्थान को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कराने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के प्रयासों को एक साझा दिशा में ठोस आकार देने के लिए एक परिचर्चा की। विचार विमर्श के दौरान बाल मजदूरी की समस्या और इसके चंगुल से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास के उपायों पर चर्चा हुई। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (आरएससीपीसीआर) के सहयोग से हुई इस परिचर्चा में प्रदेश सरकार के श्रम, शिक्षा, पुलिस, बाल अधिकार जैसे विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस परिचर्चा में बाल श्रम के उन्मूलन और बचाए गए बच्चों के पुनर्वास के लिए आगे की योजनाओं और उठाए जा सकने वाले कदमों पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।
बताते चलें कि हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। बचपन बचाओ आंदोलन राज्य सरकार के सभी विभागों के साथ मिलकर जून को ‘एक्शन मंथ’ के रूप में मनाने की तैयारी में जुटा है। पूरे प्रयास हैं कि राजस्थान को बाल श्रम से मुक्त कराने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाने के लिए जून के महीने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। इस ‘एक्शन मंथ’ के दौरान पूरे राज्य में बाल मजदूरी के खिलाफ प्रयासों को दोगुनी गति दी जाएगी और बाल मजदूरी के शिकार बच्चों को छापामार कार्रवाईयों के जरिए मुक्त कराने और उनके पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। विभिन्न विभागों के अफसरों के साथ परिचर्चा इसी दिशा में एक कदम है ताकि सभी विभागों के समन्वित प्रयासों से बाल मजदूरी के उन्मूलन के साझा लक्ष्य को हासिल किया जा सके। सभी विभागों के समन्वित प्रयासों से बाल श्रम के खिलाफ राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
इस परिचर्चा में जिसमें विभिन्न विभागों के 70 से अधिक अधिकारी और प्रतिनिधि मौजूद थे, आरएससीपीसीआर की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि बाल मजदूरी पूरी तरह खत्म करने और हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागों, एजेंसियों और संगठनों के साझा और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज से बाल मजदूरी की बुराई को मिटाने के लिए अब यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जमीनी धरातल पर काम हो और जिला स्तर पर इसकी निगरानी का तंत्र हो।
राजस्थान को बाल मजदूरी से मुक्त कराने की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए बीबीए के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर धनंजय टिंगल ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की ओर से तय सीमा के अनुसार 2025 तक बाल मजदूरी की बुराई का खात्मा हो जाना चाहिए और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी विभागों और नागरिक समाज के संगठनों को मिलकर साझा प्रयास करने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर राजस्थान सरकार की प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक है और वह प्रदेश को बाल मजदूरी से मुक्त बनाने की दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है।
परिचर्चा में मौजूद राजस्थान सरकार के श्रम विभाग के सचिव सीताराम भाले ने भी इस राय से सहमति जताते हुए कहा कि बाल श्रम के संपूर्ण खात्मे के लिए ये साझा प्रयास खासे अहम हैं। इस परिचर्चा की सफलता इस बात में है कि इसमें राज्य सरकार के सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी मौजूद हैं, इसलिए इसमें लिए गए फैसलों के समन्वित क्रियान्वयन में आसानी रहेगी।
भाले ने कहा कि प्रत्येक लेबर इंस्पेक्टर को अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को अच्छी तरह जानना चाहिए और इसे अद्यतन करने के लिए हर तीसरे महीने एक प्रशिक्षण सत्र की आवश्यकता है। इस दौरान पुलिस महकमे के अफसरों ने बाल मजदूरी और बाल तस्करी रोकने की दिशा में विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी।