आया राम, गया राम का खेल अभी चलेगा

Update: 2022-01-16 07:45 GMT

प्रदीप पंडित

नई दिल्ली/ लखनऊ। विपक्ष के अगड़े पिछड़े संघर्ष को चुनावी मुद्दा बनाने की चाहत के जवाब में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कमान अपने हाथ में ले ली। वह किसी भी सूरत में प्रदेश की राजनीतिक फ़िज़ा को अगड़े और पिछड़ों के संघर्ष की ज़मीन नहीं बनने देगा। इसके लिए उन्होंने अपने 35 हज़ार स्वयंसेवकों को मैदान में उतार दिया है। वे हर दरवाज़ा राम दुआरा मान कर सभी विधानसभा क्षेत्रों में लोगों से संपर्क करेंगे। इसके लिए उनकी टुकड़ियां आज शाम से ही मैदान में उतर जाएँगी।

यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष अगड़े पिछड़े की लड़ाई खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। 2014 और 2017 के चुनाव में भी विपक्ष ने इसकी कोशिश की थी। लेकिन, भाजपा ने बृहद सामाजिक समीकरण बना कर विपक्ष को शिकस्त दी थी। इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि भाजपायी गुम्बद से कुछ कबूतर उड़ गए। इसी के जवाब में संघ के परामर्श से भारतीय जनता पार्टी भी 20 हज़ार लोगों को 403 विधानसभा क्षेत्रों में भेज रही है। वे सीधे संपर्क के जरिये लोगों को बताएँगे कि हक़ीक़त क्या है। उल्लेखनीय यह है कि वे सभी पिछड़ी जातियों की अगुवाई करते हैं। इसके आगाज़ को योगी आदित्यनाथ के मकर संक्रांति के दिन दलित के भोज से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

हालांकि यह नई बात नहीं है। 80 के दशक से गरीब, वंचित और दलितों के साथ भोजन की परंपरा की शुरुआत गोरक्षनाथ पीठ से महंत अवैद्यनाथ ने शुरू की थी। ओबीसी मोर्चा के प्रभारी और उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बताया कि पिछड़ी जाति के 50 नेताओं को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में भेजकर विपक्ष के झूठ का पर्दाफाश किया जायेगा और जनता को बताया जायेगा कि इस सभी जातियों के लिए केंद्र और राज्य यानी मोदी और योगी सरकार ने क्या-क्या किया।

भाजपा किसी भी हालत में यह प्रचारित करने का अवसर नहीं देगी कि वह सब सवर्णों की पार्टी है। सिंह ने इस्तीफा देने और सवालों के पत्त्थर उछालने वालों से पूछा यदि उनके आरोपों में सच्चाई है तो वे इतने बरस क्या कर रहे थे। बहरहाल, सिंह के संकेतों में शामिल है कि भाजपा जल्द ही सपा, बसपा के इस इस्तीफेबाज़ी खेल का मुंह तोड़ जवाब देगी। जल्द ही पाला बदल अब भाजपा के सिंहद्वार की तरफ हो। यानी, आया राम, गया राम का खेल अभी चलेगा।

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