10 साल तक राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने वाला एथलीट आज दाने-दाने को मोहताज है. गरीबी और लाचारी का आलम ऐसा कि महज पांच हजार के लिए वो अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग नहीं ले पाया. ना उसके पास पैसे थे और ना ही किसी ने उसकी मदद की थी.
धनबाद का अजय दिव्यांग होने के बावजूद खेलकूद में अव्वल रहा और धीरे-धीरे वो एथलीट बन गया. अपने 10 साल के करियर में उसने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 100मी, 200मी और 400 मी की दौड़ में कई मेडल अपने नाम किए. झारखंड का नाम रोशन करने वाला ये बेहतरीन राष्ट्रीय पैरा एथलीट आज आर्थिक तंगी और सिस्टम के आगे बेबस है.
बताया गया है कि इस आर्थिक तंगी की वजह से ही अजय का स्पोर्ट्स करियर चौपट हो गया. सिर्फ पांच हजार रुपये की वजह से वो एक चैंपियनशिप में भी हिस्सा नहीं ले पाया. दरअसल अजय पासवान के समक्ष उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब महज 5 हजार रु के कारण वो अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग नहीं ले सका .साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए उसका चयन हुआ था. ये चैंपियनशिप बेलरूश में होनी थी.
एसोसिएशन की ओर से चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए निजी खर्च पर जाने का फरमान जारी किया गया था. किसी तरह अजय ने दौड़-भाग कर पासपोर्ट तो बना लिया लेकिन 5 हजार रुपये के लिए उसका वीजा नहीं बन पाया. वो 5 हजार रुपये का ना तो इंतजाम कर पाया और ना ही किसी ने उसकी मदद की. इस वजह से अजय को एक बड़ी प्रतियोगिता से हाथ धोना पड़ा.
अब अजय की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वो अपने जीते हुए मेडल भी बेचने को तैयार है. वो चाहता है कि इन मेडल को बेच उसके पास इतने पैसे तो आ ही जाएं कि वो अपने परिवार का पेट पाल सके. अब इस बारे में अजय के पिता का कहना हैं कि घर-घर पानी देकर अपना गुजारा कर रहे हैं. वहीं अजय भी अब घर में बैठा-बैठा पिता के काम में हाथ बंटा रहा है. अजय की चार बहनें भी हैं जो अपने भाई को लेकर काफी परेशान रहती हैं.
बहनों का कहना है कि पिता का काम अब पहले की तरह नहीं चलता है. एक भाई थोड़ा-बहुत कमाता है, जिससे बड़ी मुश्किल से परिवार का भरण पोषण हो पाता है. बहन ने अजय के लिए सरकार से नौकरी देने की मांग की है ताकि झारखंड को गौरव दिलाने वाला युवक को भी सम्मान की जिंदगी मिल सके और उसकी स्थिति में कुछ सुधार हो सके. इस बारे में धनबाद उप विकास आयुक्त का कहना हैं कि ये मामला उनके संज्ञान में आया है और वे तुरंत सहायता देने का काम करेंगे.