भारत सरकार पर हमला: इस सांसद ने कहा- जांच एजेंसियां कर रहीं कॉन्ट्रैक्ट किलिंग
मुंबई: जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राउत ने कहा है कि अब महाराष्ट्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का सफाया करने के लिए 'कॉन्ट्रैक्ट किलिंग' की जगह 'गवर्नमेंट किलिंग' यानी सरकारी हत्याओं ने ले ली है। बता दें कि शिवसेना के नेतृत्व में महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार के कई मंत्री और नेताओं के खिलाफ ईडी, इनकम टैक्स डिपार्टिमेंट और सीबीआई जांच चल रही है। इसको लेकर अब संजय राउत ने कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां दिल्ली की सत्ता में बैठी पार्टी (बीजेपी) के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर का काम कर रही हैं।
संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपने वाले अपने स्तंभ में लिखा है, 'महाराष्ट्र में कानून का राज है या छापेमारी का? इतने छापों का कीर्तिमान केंद्रीय जांच एजेंसियां बनाती नजर आ रही हैं। गप हांकना दिल्ली के शासकों का धंधा ही था। अब आए दिन छापा मारना, यह नई व्यवस्था इसमें जुड़ गई है।'
राउत ने आगे लिखा है, 'यह एक निवेश रहित कारोबार है। जनता का पैसा, सरकारी तंत्र और उससे विपक्ष का कांटा निकालना, ऐसा ये व्यापारी दिमाग चल रहा है। एक समय मुंबई में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का जोर था। किराए के हत्यारों का इस्तेमाल करके दुश्मनों का कांटा निकाला जाता था। कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की जगह गवर्नमेंट किलिंग ने ले ली है। केंद्रीय जांच एजेंसियां, दिल्ली में जिस पार्टी की सत्ता है, उसके लिए कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का कार्य करती नजर आ रही हैं। अवांछित राजनीतिक विरोधियों को सरकारी तंत्र का उपयोग करके खत्म करना, ये वर्तमान नीति बन गई है।'
राउत ने एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग्स केस में जेल भेजने का भी जिक्र किया. राउत ने लिखा कि मलिक और एनसीपी की हरसंभव बदनामी की गई। उन्हें ड्रग रैकेट के नाम पर गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में अब अदालत ने मलिक के दामाद को जमानत दे दी और जमानत आदेश में स्पष्ट कर दिया कि मलिक के दामाद के पास जो मादक पदार्थ मिला है, वह मादक पदार्थ था ही नहीं। वह महज शुद्ध सुगंधित तंबाकू था। नवाब मलिक के दामाद समीर खान को आठ महीने जेल में रहना पड़ा।
राउत ने लिखा है, 'एनसीबी मतलब केंद्रीय मादक पदार्थ विरोधी दस्ते के लोग मुंबई में डेरा डालकर बैठे हैं, और कई झूठे मामलों को रचकर प्रताड़ित कर रहे हैं। यहां भी राजनीतिक विरोधियों को फंसाने का काम चल रहा है। एनसीबी के अधिकारियों से सवाल पूछने की हिम्मत राज्य के सत्ताधारियों को दिखानी चाहिए।'