राजस्थान। माफिया से नेता बने अतीक अहमद को नैनी जेल से अहमदाबाद की साबरमती जेल ले जाया जा रहा है।वीडियो राजस्थान के बारां से है जहां पुलिस का काफिला थोड़ी देर के लिए रुका। प्रयागराज की एक अदालत ने कल उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद और दो अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
वो साल 1979 ही था जब अतीक अहमद पर पहला केस दर्ज किया गया था. 1979 के पहले केस से अब 2023 में पहली सजा तक के बीच उत्तर प्रदेश में काफी कुछ बदल चुका है. अतीक के गुनाह से सजा के बीच इन 44 सालों के वक्त को कई पहलुओं से समझा जा सकता है. इन 44 वर्षों में प्रदेश ने सामाजिक-आर्थिक और कई राजनीतिक पहलुओं पर बदलाव देखे हैं.
साल 1979 में जब अतीक अहमद पर पहला मुकदम दर्ज हुआ तब यह शहर इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था. लेकिन 44 साल बाद जब अतीक को इसी शहर में सजा हुई तो इस शहर को प्रयागराज के नाम से जाना जाता है. बता दें कि अतीक अहमद पर पहला मुकदमा प्रयागराज के खुल्दाबाद में ही दर्ज हुआ था. राजनीतिक लिहाज से इन 44 वर्षों को देखा जाए तो 1979 में पहले मुकदमे से, 2023 में पहली सजा मिलने तक उत्तर प्रदेश में छह दलों के 19 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा अगर लीगल पहलुओं पर नजर डाली जाए तो इन 44 साल के लंबे दौर में इलाहाबाद हाई कोर्ट में 27 मुख्य न्यायाधीश बदल चुके हैं.
बता दें कि 44 साल से अपराध के दुनिया में एक्टिव अतीक अहमद को मंगलवार को पहली बार अदालत ने किसी मामले में दोषी करार दिया है. 1979 से हत्या, डकैती, वसूली, अपहरण, जानलेवा हमला, जमीन कब्जे का संगठित गिरोह चलाने वाले अतीक अहमद के खिलाफ पहली बार अदालत ने सजा दी. अतीक को यह सजा अपहरण करके बयान बदलवाने के मामले में हुई है.