आशीष मिश्र मोनू ने जिला अदालत में दाखिल की दूसरी जमानत अर्जी, सोमवार को होगी सुनवाई
तिकुनिया कांड में शनिवार को आशीष मिश्र मोनू की ओर से जिला जज की अदालत में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई है
तिकुनिया कांड में शनिवार को आशीष मिश्र मोनू की ओर से जिला जज की अदालत में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई है। जिला जज मुकेश मिश्र ने जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तिथि तय की है।
यहां बताते चलें कि तिकुनिया कांड में नामजद मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू की ओर से शुक्रवार को बदली हुई धाराओं में जमानत अर्जी सीजेएम अदालत में पेश की गई थी। वहां जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आशीष मिश्र मोनू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश सिंह ने निर्दोष बताते हुए अब जिला जज की अदालत में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की है।
अदालत में जमानत अर्जी देते हुए कहा है कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। धारा 307 और 326 के साथ ही शस्त्र अधिनियम की धारा 3/ 25/30 और 35 लगाई गई है, जो पूरी तरह नाजायज है। जिला जज ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए जिला शासकीय अधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए 20 दिसंबर की तिथि मुकर्रर की है।
वहीं डीजीसी अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि जमानत अर्जी के संबंध में एसआईटी से बिंदुवार आख्या तलब की गई है। चूंकि इससे पूर्व दाखिल जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। इसलिए दूसरी अर्जी स्वीकार होने योग्य नहीं है।
20 दिसंबर को जिला अदालत में छाया रहेगा तिकुनिया कांड, छह जमानत अर्जियों पर होगी सुनवाई
तिकुनिया कांड में 20 दिसंबर को जिला जज अदालत में अहम सुनवाई होगी। अंकित दास और उनके साथ उनके ड्राइवर और गनर सहित पांच जमानत प्रार्थना पत्र पहले से सुनवाई के लिए 20 दिसंबर को मुकर्रर है तो प्रमुख आरोपी आशीष मिश्र मोनू की ओर से भी बदली गई धाराओं समेत दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई है। जिस पर भी सुनवाई के लिए सोमवार 20 दिसंबर की तारीख मुकर्रर हुई है।
इस तरह नंदन सिंह बिष्ट, सत्यम त्रिपाठी, अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, आशीष मिश्र मोनू सहित छह जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई मुकर्रर की गई है। जिनमें अंकित दास सहित पांच जमानत प्रार्थना पत्रों पर तो पुरानी धाराओं में जमानत अर्जी लंबित है लेकिन आशीष मिश्रा की ओर से पेश की गई दूसरी जमानत अर्जी धारा 307 धारा 326 आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 और 35 के तहत भी जमानत अर्जी दाखिल की गई है। डीजीसी अरविंद त्रिपाठी ने बताया जमानत प्रार्थना पत्र का पुरजोर विरोध किया जाएगा। ऐसे गंभीर मामलों में जमानत दिए जाने से समाज में प्रतिकूल संदेश जाएगा।