हैदराबाद नगर निगम चुनाव: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का 42 सीटों पर कब्जा, भाजपा तीसरे नंबर पर

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में कांटे की टक्कर चल रही है.

Update: 2020-12-04 13:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में कांटे की टक्कर चल रही है. अब तक के रुझानों में बड़ा उलटफेर हुआ है. शुरूआत में पिछड़ने के बाद टीआरएस ने बढ़त बना ली है. केसीआर की पार्टी पहले स्थान पर चल रही है. वहीं, दूसरे नंबर के लिए बीजेपी और AIMIM के बीच कड़ी लड़ाई है. 

शुरुआती रुझानों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था, लेकिन धीरे-धीरे टीआरएस हावी हो गई. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और बीजेपी में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है.
150 सीटों में से 132 सीटों के नतीजे आ चुके हैं, जिसमें से टीआरएस 53 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं AIMIM 42 और बीजेपी को 35 सीटों पर जीत मिली है. जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 सीट आई है.
बीजेपी बाजीगर बनकर उभरी
रुझानों में उलटफेर के बाद टीआरएस ने बढ़त तो बढ़ा ली है, लेकिन बीजेपी बाजीगर बनकर उभरी है. इस शानदार जीत के बाद सवाल उठता है कि क्या दक्षिण के दुर्ग का दूसरा दरवाजा बीजेपी के लिए जल्द ही खुलनेवाला है. क्या कर्नाटक के बाद बीजेपी दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी सत्ता के शिखर पर पहुंचने में कामयाब हो जाएगी. चुनाव तो वैसे नगर निगम का था लेकिन रोमांच किसी लोकसभा-विधानसभा चुनाव से कम नहीं. बीजेपी ने ताकत झोंकी तो नतीजे भी गवाही देने लगे. दक्षिण के दुर्ग में दूसरा दरवाजा खोलने की बीजेपी की रणनीति काम कर गई.
देश के सबसे बड़े नगर निगम में से एक ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम का सियासी रसूख ही कुछ ऐसा है कि इस दुर्ग में जगह बनाना बीजेपी के लिए जरुरी था. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, मेडचल-मलकजगिरी, रंगारेड्डी और संगारेड्डी शामिल हैं. पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं तो तेलंगाना की 5 लोकसभा सीटें आती हैं.
यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक ने दिन रात एक कर दिया, लेकिन पिछली बार हाशिये पर खड़ी बीजेपी ने इस बार कमाल कर दिया. बीजेपी के शानदार परफॉर्मेंस का असर ये होगा कि दक्षिण में कर्नाटक के बाद तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में पैर पसारने में बीजेपी को राहत रहेगी जहां बीजेपी अबतक कामयाबी के लिए बरसों से जी-तोड़ मेहनत कर रही है.
क्यों अहम है हैदराबाद नगर निगम चुनाव
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, मेडचल-मलकजगिरी, रंगारेड्डी और संगारेड्डी शामिल हैं. पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं तो तेलंगाना की 5 लोकससभा सीटें आती हैं. यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक की साख दांव पर लगी हुई है.
46 फीसदी से अधिक मतदान
इस बार 46.55% मतदान हुआ. 2009 के हैदराबाद नगर निगम चुनाव में 42.04 फीसदी तो 2016 में हुई नगर निगम चुनाव में 45.29 फीसदी लोगों ने ही वोट डाले थे. हालांकि पिछले 2 चुनाव से ज्यादा इस बार वोटिंग दर्ज की गई.
पिछले चुनाव में टीआरएस को मिला था बहुमत
2016 में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव की बात करें तो टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत हासिल की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 वार्ड में जीत मिली थी. जबकि बीजेपी महज तीन नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी.


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