अरविंदर सिंह लवली का इस्तीफा चौंकाने वाला : कांग्रेस नेता

Update: 2024-04-28 08:32 GMT

दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस में बीते कुछ दिनों से उथल-पुथल मची हुई है। रविवार को अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस पर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लवली ने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, उन्होंने केवल अपने पद से इस्तीफा दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रह चुके राजकुमार चौहान ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। लवली के इस्तीफा देने के बाद दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुभाष चोपड़ा ने उनसे मुलाकात की। सुभाष चोपड़ा के मुताबिक इस मुलाकात में उन्होंने लवली से जानना चाहा कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया।

चोपड़ा ने बताया कि अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि वे पार्टी हाई कमान को अपने इस्तीफा का कारण बता चुके हैं। चोपड़ा ने इस निर्णय को स्वयं और अन्य साथियों के लिए चौंकाने वाला बताया। इसके साथ ही चोपड़ा ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है। अरविंदर सिंह लवली पार्टी में ही हैं और पार्टी के साथ हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के पद से इस्तीफा पर भाजपा ने कहा है कि फिर से एक बार 'टुकड़े-टुकड़े कांग्रेस' का प्रमाण मिला है। कांग्रेस के पास देश के लिए कोई मिशन नहीं है, बल्कि, कांग्रेस में केवल कंफ्यूजन, कांट्रडिक्शन और डिवीजन है।

अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) से हुए गठबंधन को अपने इस्तीफा का कारण बताया है। लवली का कहना है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगाकर बनी थी, फिर उससे गठबंधन कैसे हो सकता है। उन्होंने इस्‍तीफा देते हुए लिखा है कि दिल्ली कांग्रेस इकाई उस पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के एकमात्र आधार पर बनी थी। इसके बावजूद, पार्टी ने दिल्ली में 'आप' के साथ गठबंधन करने का फैसला किया।

लवली के मुताबिक, "अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद से, एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने उन्हें डीपीसीसी में कोई भी वरिष्ठ नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी है। डीपीसीसी के मीडिया प्रमुख के रूप में जिस नेता की नियुक्ति का अनुरोध उन्होंने किया था, उसे अस्वीकार कर दिया गया। एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने डीपीसीसी को सभी ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी है, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में 150 से अधिक ब्लॉकों में वर्तमान में कोई ब्लॉक अध्यक्ष नहीं है।"


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